जमीन पर जाल, कोर्ट का फरमान बेकार: भूमाफिया की गुंडागर्दी

रायगढ़ अरुंधती देवी की नजूल जमीन पर भूमाफिया का कब्जा, पुलिस की चुप्पी से बढ़ा आक्रोश
रायगढ़ । न्यू मरीन ड्राइव रोड, गढ़भीतर, राजापारा मोहल्ले में 62 वर्षीय अरुंधती देवी की नजूल जमीन पर भूमाफिया जितेंद्र सिंह ने अवैध कब्जा जमा लिया है। तहसील न्यायालय के स्थगन आदेश को ठेंगा दिखाते हुए जितेंद्र बेखौफ निर्माण करा रहा है। कोतवाली पुलिस की निष्क्रियता और SP के निर्देशों की अनदेखी से पीड़िता का गुस्सा सातवें आसमान पर है।
जमीन का विवाद: खून-पसीने की कमाई पर सेंध
नजूल शीट नंबर 56, प्लॉट नंबर 219 (175 वर्ग मीटर) की यह जमीन अरुंधती और उनकी दिवंगत बहन जैमन देवी के नाम थी। 2018 में बहन के निधन के बाद अरुंधती अकेली मालिक हैं। 26 मार्च 2025 को हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी जितेंद्र सिंह ने जबरन निर्माण शुरू कर दिया। अरुंधती के विरोध पर उसे धमकाया गया।
कोर्ट का आदेश बेअसर
अरुंधती ने तहसीलदार नजूल, रायगढ़ में शिकायत दर्ज की। 27 मार्च को तहसीलदार ने निर्माण पर रोक का आदेश जारी किया, लेकिन जितेंद्र ने इसे नजरअंदाज कर दीवारें खड़ी कर दीं। अरुंधती का कहना है, “कोर्ट का आदेश इनके लिए कागज का टुकड़ा? यह गुंडागर्दी नहीं तो क्या है?”
पुलिस की खामोशी, SP से उम्मीद
सिटी कोतवाली में शिकायत के बावजूद थाना प्रभारी सुखनंदन पटेल ने कोई कार्रवाई नहीं की। 12 अप्रैल को अरुंधती ने SP को ज्ञापन सौंपकर निर्माण रोकने, बन चुके हिस्से को ढहाने और कोर्ट आदेश लागू करने की गुहार लगाई। SP कार्यालय ने जांच का आश्वासन दिया, लेकिन निर्माण अब भी जारी है।
मोहल्ले में सवाल, पुलिस पर संदेह
मोहल्ले वालों का कहना है कि जितेंद्र के पीछे कोई रसूखदार है, तभी पुलिस चुप है। थाना प्रभारी की निष्क्रियता से सवाल उठ रहे हैं। अरुंधती का कहना है, “मैं बूढ़ी औरत, थाने के चक्कर काट-काटकर थक गई, लेकिन TI साहब टालमटोल करते हैं।”
अरुंधती का जज्बा: हाई कोर्ट तक लड़ाई
“ये जमीन मेरे बच्चों का भविष्य है। कोई छीने, तो आखिरी सांस तक लडूंगी,” अरुंधती ने दृढ़ता से कहा। उनके वकील ने बताया कि कानूनी दस्तावेज तैयार हैं। वे कोर्ट की अवमानना के लिए जितेंद्र को सिविल जेल भेजने की मांग करेंगे। अगर SP से न्याय नहीं मिला, तो वे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी।
आवाज उठी, अब इंसाफ की बारी
अरुंधती की हुंकार और कोर्ट के आदेश की अनदेखी ने भूमाफिया जितेंद्र सिंह और निष्क्रिय अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह मामला अब सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि न्याय और कानून के सम्मान का सवाल बन गया है।