छत्तीसगढ़

राज्य सरकार मजदूरों के पलायन को रोकने में नाकाम  मजदूर नेता जॉन मिरन मुंडा पर लगाया गया सीसीए एक्ट हटाने और मजदूरों के पलायन रोकने की मांग पर झारखंड जेनरल कामगार यूनियन का चाईबासा में धरना प्रदर्शन

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कुजू डेम बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय छोटे छोटे बांध बनाकर किसानों के खेतों में जलापूर्ति की योजनाओं पर सरकार ध्यान केंद्रित करे                 

चाईबासा । झारखंड जेनरल कामगार यूनियन के जिला अध्यक्ष मानसिंह तिरिया की अध्यक्षता में मजदूर नेता व यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष जॉन मिरन मुंडा पर लगाया गया सीसीएक्ट के मामले को  हटाने और राज्य से गरीब गुर्बा मजदूरों का पलायन रोकने की मांग को लेकर मंगलवार को चाईबासा पुराना डीसी ऑफिस के सामने झारखंड जेनरल कामगार यूनियन के बैनर तले एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। इस संबंध में यूनियन की ओर से चाईबासा के उपायुक्त के माध्यम से देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और चीफ जस्टिस को ज्ञापन सौंपा गया।

यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष जॉन मिरन मुंडा ने धरना प्रदर्शन पर उपस्थित मजदूरों को संबोधित किया। उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा की झारखंड सरकार में गरीब आदिवासी मजदूरों का कोई सम्मान नहीं है और न उन्हें रोजगार मिल रहा है। इस सरकार में आदिवासियों की जमीनें छीनी जा रही है। राज्य के मजदूर रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर रहे है।

वहीं राज्य के सफेदपोश नेताओं के बिल्डिंग खड़ा करने के लिए बाहर राज्यों के मजदूर यहां निर्बाध रूप से रोजगार प्राप्त कर रहे है। उन्होंने झारखंड सरकार पर आदिवासी मजदूरों के हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा की उनके खिलाफ झारखंड सरकार ने साजिश के तहत 4 बार सी सी एक्ट के तहत मुकदमा लगाकर उन्हें चुनाव लडने से वंचित किया। जबकि वह पड़ोसी राज्य में चुनाव लड़कर लोगों का खासा समर्थन प्राप्त किया। 

उन्होंने झारखंड सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा की एक ओर सरकार कल कारखानों और उद्योग संस्थानों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगो नियुक्ति तथा रोजगार देने का दावा करती है लेकिन राज्य के अधिकांश कल कारखानों में स्थानीय लोगो को न तो नियुक्ति दी जा रही है न और रोजगार।उन्होंने राज्य के किरीबुरू, नुआमुडी, गुआ, जामदा, मनोहरपुर चाईबासा, चलियामा इत्यादि के छोटे बड़े उद्योगों में  स्थानीय आदिवासियों का उपहास किए जाने का आरोप लगाया है। राज्य सरकार सूबे के मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिलाने में भी नाकाम है।

उन्होंने मांग किया है की कल कारखानों और उद्योगों में मजदूर और कर्मचारियों को मासिक कम से कम 45 हजार रुपया प्रदान किया जाय। उन्होंने कहा की राज्य के संस्थानों में स्थानीय लोगों को मासिक 6 से 7 हजार रुपया में खटाया जा रहा है। जबकि दूसरे राज्यों में मजदूरों को प्रतिदिन 6 सौ 7 सौ रुपया से ज्यादा मजदूरी मिल रही है । राज्य के अधिकांश इलाकों में आज भी आदिवासी दातुन और पत्ता बेचकर अपनी जीविका चलाने के लिए मजबूर है ।

उन्होंने राज्य सरकार से उनके विरुद्ध लगाए गए सी सी एक्ट हटाने की मांग की है ताकि वह आगामी विधान सभा चुनाव में चुनाव लड़ सके, और जीत कर मजदूरों का हक और उनका पलायन को रोक सके। उन्होंने किसानों के खेतों में जलापूर्ति के लिए कुजू डेम बनाने के बजाय छोटे छोटे बांध बनाकर किसानों के खेतों में जलापूर्ति की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की मांग की है। इस  धरना प्रदर्शन में जिला परिषद सदस्य माधव सिंह कुंकल,माता कारवां, जोशेफ मुंडा, हीरालाल मुंडा,सहित बड़ी संख्या में मजदूर उपस्थित थे।

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