छत्तीसगढ़

ऑपरेशन से लौटे जवानों ने साझा किए अनुभव: जवानों के रास्ते में नक्सलियों ने लगाए थे 30 से ज्यादा स्पाइक होल

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नक्सलियों से मोर्चा लेने के दौरान जंगल में जवानों को विपरीत स्थिति के अलावा नक्सलियों द्वारा खड़ी की गई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। खासकर नक्सलियों द्वारा बनाए गए स्पाइक होल अक्सर जवानों के लिए खतरनाक साबित होते हैं।

ऐसे ही कई स्पाइक होल 15 नंवबर को टेकामेटा पहाड़ी के आसपास मिले। नक्सलियों ने अपने स्थाई ठिकानों पर अपनी सुरक्षा व जवानों को नुकसान पहुंचाने बना रखा था। जवानों की सतर्कता ने नक्सलियों के इस हथकंडे को भी विफल कर दिया।

पहाडिय़ों में स्थाई रूप से डेरा जमाए नक्सलियों ने पुलिस को नुकसान पहुंचाने बड़ी संख्या में पुलिस के आने वाले संभावित रास्तों में स्पाइक होल बना रखे थे। 15 नंवबर को गश्त में गई पुलिस टीम को टेकामेटा पहाड़ी के आसपास कई स्पाइक होल मिले। नक्सलियों ने तीन फीट गहरा गड्डा खोद स्पाइक होल बनाया था।

इसके अंदर लोहे के नुकीले राड आदि लगा ऊपर से बांस व झाड़ियों आदि से ढंक दिया था। पहाड़ी के आसपास नक्सलियों ने इस तरीके से स्पाइक होल बनाए थे कि कहीं-कहीं जवान उसमें फंस जाते। किसी जवान का पैर इस होल में पड़ता तो वह सीधे गड्ढे में गिर बुरी तरह घायल हो जाता। यह होल इतने खतरनाक हैं कि इससे जवानों की जान भी जा सकती है। जवानों ने पूरी सतर्कता से अपने कदम आगे बढ़ाए जिससे उनके पैर इन होल पर नहीं पड़े। जवानों की एक टीम लगातार जांच करती आगे बढ़ रही थी।

बम के बाद स्पाइक होल दूसरा अचूक हथियार जवानों के रास्ते में लगाए नक्सलियों द्वारा जाने वाले बम के बाद स्पाइक होल दूसरा अचूक हथियार है। सड़क में पुलिस बल को नुकसान पहुंचाने आईईडी लगाई जाती है तो जंगल में स्पाई होल बनाए जाते हैं। पतझड़ के दौरान स्पाई होल और भी खतरनाक हो जाते हैं। सूखे पत्तों से ढंके होने के कारण दिखाई नहीं देते हैं। इस दौरान स्पाइक होल को ट्रेस कर पाना काफी कठिन होता है। रात में स्पाइक होल को ट्रेस करना और मुश्किल होता है।

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