मां का दूध नवजात का पहला वैक्सीन होता है- डॉ नंदिनी
विश्व स्तनपान सप्ताह में डॉ नंदिनी शंढ ने माताओं को दिए कई टिप्स और कहा स्तनपान से बच्चों का स्वस्थ और मेंटल डेवलपमेंट तो होता हैं लेकिन माताओं का लंबे समय तक स्वास्थ्य भी सही रहता है
चक्रधरपुर। प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाए जाने वाले विश्व स्तनपान दिवस पर चक्रधरपुर रेलवे मंडल अस्पताल के डॉ नंदिनी संढ ने कहा विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान मां के दूध के महत्व के बारे में जानकारी हो जाती है। इसको मनाने की शुरुआत 1991 से शुरू हुई थी। यह एक सौ से अधिक देशों में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनिया भर में शिशुओं के स्वास्थ्य के सुधार के लिए किया जाता है ।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्ग्नेशन (WHO) के मुताबिक स्तनपान न सिर्फ बच्चों के लिए फायदेमंद है बल्कि मां के लम्बे समय तक स्वास्थ्य रहने में मदद करता है। मां का दूध को नवजात का पहला वैक्सीन कहा जाता है। मां का दूध बच्चो के लिए सर्वोत्तम है। इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। प्रोटीन, फेट, विटामिन मिनिरल्स, एंटीबॉडी और उनके प्रतिरोधक तत्व होते हैं जो शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ के लिए उपयोगी है। इससे मां और बच्चों के बीच एक मजबूत बंधन बनता है और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करता है।
मां के दूध से बच्चो को न्यूट्रेशन सही मिलता है। ब्रेस्ट मिल्क में बायोक्टिव कंपाउंड होते है जो इम्यूनिटी को बढ़ाती है, वेट कंट्रोल करता है। उसमे एंटीबायोटिक्स होते है। मां का दूध पीने से गिफ्ट,, फ्लोरिया सही रहते है जिसमे डायरिया,दस्त इत्यादि का खतरा नहीं होता है। ये वायरस और बैक्टीरिया से बचाता है। अस्थमा ,एलर्जी से बचाता है।
कान के संक्रमण दस्त की समस्या कम होते है। ब्रेस्ट फीड करने वाले बच्चे नान ब्रेस्ट फीड बच्चों की तुलना में ओबिसिटी से बचते है और टी टू डी एम नही होते है। ब्रेस्ट फीड करने वाले बच्चो का वजन 30 प्रतिशत कम होता है। कंपेयर टू नॉन ब्रेस्ट फीड बच्चे। ब्रेस्ट मिल्क में डी एच ए जैसी जरूरी फैटी एसिड होते है जो ब्रेन डेवलपमेंट में मदद करती है। इसलिए ब्रेस्ट फीड करने वाले बच्चे जायदा स्मार्ट होते है।
लेकिन कई माताओं को ऐसा लगता है की ब्रेस्ट फीड कराने से उनकी फिगर बिगड़ जायेगा ऐसा नहीं है। मां के ब्रेस्ट फीड कराने से मां और बच्चों में एक प्यार भरा बॉन्डिंग बनता है। इससे मां के शरीर में हार्मोनल चेंज होते है जिससे पोस्ट पार्टम डिप्रेशन नहीं होते। मां का वजन जल्दी घटता है। यूट्रस जल्दी नॉर्मल साइज में आता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माताओं में ब्रेस्ट कैंसर ओरेरियन कैंसर ,टाइप टू डायबिटीज और हार्ट अटैक जैसे बीमारी का जोखिम भी कम हो जाता है।