
बस्तर/बीजापुर। जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या को पूंजीवादी साजिश बताते हुए कड़ी निंदा की है। संगठन के अध्यक्ष जीत गुहा नियोगी ने कहा कि यह हत्या एक सामान्य घटना नहीं है, बल्कि सरकार, पूंजीपति और भ्रष्ट ठेकेदारों की मिलीभगत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि देशभर में ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जहां व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने वालों को साजिशन तबादला, बर्खास्तगी, जेल या यहां तक कि हत्या का भी शिकार बना दिया जाता है।
भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा बनी हत्या
जन मुक्ति मोर्चा का कहना है कि मुकेश चंद्राकर ने जिस सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार की बात उठाई थी, वह गंगालूर से मिरतुल तक 45 किमी की सड़क थी, जिसकी लागत पहले 50 करोड़ थी, लेकिन अचानक बढ़कर 120 करोड़ हो गई। उन्होंने सवाल उठाया कि यह ठेकेदार करोड़पति से अरबपति कैसे बन गया?

सरकारी एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
मोर्चा ने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन राजनीतिक नेताओं के लिए जांच एजेंसियों को सक्रिय रखते हैं, लेकिन इस सड़क निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि देश में लोकायुक्त, ईडी, आयकर विभाग और होनहार इंजीनियरों की मौजूदगी के बावजूद यह भ्रष्टाचार सामने नहीं आया, लेकिन एक ईमानदार पत्रकार ने इसे उजागर कर दिया, जिससे पूरी भ्रष्ट व्यवस्था बेनकाब हो गई।
सिर्फ ठेकेदार नहीं, पूरे सिस्टम की हो जांच
जन मुक्ति मोर्चा ने कहा कि सरकार जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए जांच के आदेश देती है, लेकिन यह जांच केवल सुलह और समझौते तक ही सीमित रहती है। मुकेश चंद्राकर ने सिर्फ ठेकेदार पर ही सवाल नहीं उठाया था, बल्कि उन सभी एजेंसियों और सुरक्षा अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किए थे, जो घटिया सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदार थे। संगठन ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।
पत्रकारिता की सच्ची आवाज को दबाने की साजिश
मोर्चा का कहना है कि मुकेश चंद्राकर सिर्फ भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग तक सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने फर्जी नक्सली मुठभेड़ों, आदिवासियों के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पीने के पानी जैसी बुनियादी समस्याओं पर भी पत्रकारिता की थी। उन्होंने आदिवासी इलाकों में पुलिसिया दमन, निर्दोष आदिवासियों की मौत और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी, जो सत्ता के लिए असहज करने वाला था।
हत्या की साजिश में ठेकेदार, अधिकारी और नेता भी दोषी
जन मुक्ति मोर्चा का मानना है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या केवल एक ठेकेदार का कृत्य नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार में शामिल ठेकेदारों, अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत का परिणाम है। संगठन ने मांग की है कि इस पूरे भ्रष्ट तंत्र में संलिप्त सभी ठेकेदारों, अफसरों, पुलिस अधिकारियों और नेताओं को हत्या के आरोपी मानकर जन सुरक्षा कानून के तहत कठोरतम सजा दी जाए।
जन मुक्ति मोर्चा की मांग – दोषियों को फांसी दी जाए
जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ ने सरकार से मांग की है कि बस्तर में जारी पुलिसिया समानांतर सरकार और सड़क घोटाले में शामिल ठेकेदारों, अधिकारियों और राजनेताओं पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें फांसी की सजा दी जाए।
– जीत गुहा नियोगी
अध्यक्ष, जन मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़





