छत्तीसगढ़

धरती आबा बिरसा मुंडा जी की शहादत दिवस पर धरमजयगढ- के आदिवासी समाज द्वारा नमन किया गया

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धरमजयगढ- रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ नगर पंचायत में आदिवासी समाज द्वारा समाज के प्रेणा श्रोत धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी याद में चौक नामकरण किया गया है, जिसमे हर वर्ष बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी समाज द्वारा रैली निकाल कर सभा करते है, और आदिवासी समाज उनके द्वारा किए गए अंग्रजों की खिलाप जो आंदोलन किए और समाज को मजबूत बनाने में जो संघर्ष किए उनके द्वारा किए हर कार्य को समाज आज गुणगान करते है, आज उनके शहादत दिवस पर सर्व आदिवासी समाज के ब्लाक अध्यक्ष महेन्द्र सिदार, चरण राठिया गुरजी, निरंजन राठिया समाजिक कार्यकता , तुलसी राठिया समाजिक कार्यकर्ता, रायसिंह राठिया रामकुमार पांडो, एवं कई समाज प्रमुखों द्वारा दीप जला कर उनकी शहादत दिवस पर नमन किया गया।
वही आदिवासी समाज अध्यक्ष महेन्द्र सिदार के गांव उनके घर में भी पूरी परिवार सहित नमन किया गया।

9 जून, बिरसा मुंडा का शहादत दिवस. इसी दिन वर्ष 1900 में रांची जेल में बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी. तब उनकी उम्र 25 साल से भी कम थी. इतनी कम उम्र में ही बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ जो उलगुलान किया था, उसने उन्हें भयभीत कर दिया था. इसी का नतीजा था कि अंग्रेजों ने आंदोलन को ध्वस्त करने और बिरसा मुंडा को पकड़ने – मार देने में पूरी ताकत लगा दी थी.

रांची जेल में उनकी मौत स्वाभाविक थी, अस्वाभाविक थी या योजनबद्ध तरीके से उन्हें मारने का षड़यंत्र किया गया था, यह अभी भी रहस्य बना हुआ है. शायद आगे भी बना रहेगा, क्योंकि उनकी मौत से संबंधित दस्तावेज-प्रमाण नष्ट हो चुके हैं या अंग्रेजों ने नष्ट कर दिये थे. बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी फरवरी 1900 में हुई थी. रांची जेल में बंद थे. 20 मई, 1900 के पहले बिरसा मुंडा बिल्कुल ठीक थे. 20 मई को कोर्ट हाजत में उनकी तबीयत खराब हुई.

उन्हें जेल लाया गया था. इलाज के बाद वे ठीक हाे चले थे, लेकिन 9 जून को उनकी हालत बिगड़ी, खून की उलटी हुई और उनकी मौत हो गयी. पोस्टमार्टम उसी शाम में हुआ. कहा गया कि हैजा के कारण उनकी मौत हुई. अंतड़ी में खून जम गया था. सवाल है कि जेल में इतने कैदी थे, हैजा सिर्फ बिरसा मुुंडा को ही क्यों हुआ? एक ही पानी सभी कैदी पीते थे, एक ही तरह का भोजन करते थे. इसलिए बिरसा मुंडा की मौत हैजा से होने को किसी ने स्वीकार नहीं किया.

बिरसा मुंडा का पूरा नाम बिरसा पुर्ती (मुंडा) है। इनके बचपन का नाम दाऊद मुंडा था। बिरसा मुंडा के माता का नाम करमी हटू और पिता का नाम सुगना मुंडा था। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ, वे छोटा नागपुर पठार की मुंडा जनजाति से संबंधित थे।।

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