
गुटबाजी और पुराने स्टीमेट के चलते टेंडर प्रक्रिया पर संकट, डीएमएफ फंड लौटने की आशंका
धर्मजयगढ़। नगर पंचायत धर्मजयगढ़ के हृदय स्थल स्थित बस स्टैंड के सौंदर्यीकरण एवं निर्माण कार्य को लेकर लगातार विवाद और प्रशासनिक अड़चनें सामने आ रही हैं। नगर पंचायत द्वारा इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए तीसरी बार ऑनलाइन निविदा आमंत्रित की गई है, लेकिन परिषद के भीतर तालमेल की कमी और गुटबाजी के चलते अब तक टेंडर प्रक्रिया सफल नहीं हो सकी है।
तीन बार निविदा, फिर भी ठहराव
जानकारी के अनुसार प्रथम निविदा में ठेकेदारों द्वारा अधिक विलो दर लगाए जाने पर परिषद ने आपत्ति दर्ज कराते हुए उसे निरस्त करा दिया। द्वितीय निविदा को तकनीकी कारणों से नगर पालिका अधिकारी द्वारा रद्द कर दिया गया। इसके बाद अधिकारी ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उसी दिन तृतीय निविदा की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी, ताकि स्वीकृत राशि अन्य विभाग में स्थानांतरित न हो सके।
डीएमएफ से 1 करोड़ की स्वीकृति, 40% अग्रिम जारी
नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष, संगठन के पूर्व अध्यक्ष तथा वर्तमान जिला संगठन के उपाध्यक्ष के प्रयासों से रायगढ़ विधायक एवं राज्य के वित्त मंत्री ओपी चौधरी से डीएमएफ फंड के अंतर्गत 1 करोड़ रुपए की स्वीकृति कराई गई। इस राशि में से 40 प्रतिशत अग्रिम रूप से नगर पंचायत को प्रदान भी किया जा चुका है।
पुराना स्टीमेट बना बड़ी बाधा
बस स्टैंड सौंदर्यीकरण का स्टीमेट वर्ष 2015 का होने के कारण ठेकेदारों की रुचि बेहद कम देखी जा रही है। वर्तमान में आरईएस एवं पीडब्ल्यूडी विभागों में वर्ष 2023 का सीएसआर लागू है, जो 2015 की तुलना में 40 से 60 प्रतिशत तक अधिक दर वाला है। ऐसे में पुराने स्टीमेट पर कार्य करना ठेकेदारों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
डामरीकरण पर ही 37 लाख का खर्च
पूरे बस स्टैंड परिसर में डामरीकरण के लिए 98 लाख रुपए के स्टीमेट में से 37 लाख रुपए केवल डामरीकरण के लिए निर्धारित हैं। जबकि वर्ष 2015 की तुलना में डामर की दरों में लगभग 100 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो चुकी है, जिससे लागत और व्यवहारिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
परिषद पर उठे सवाल
आरोप है कि वर्तमान परिषद और अध्यक्ष ने लगभग एक वर्ष का कार्यकाल बीत जाने के बावजूद अब तक एक भी नया निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। नगर पंचायत में जो भी कार्य चल रहे हैं, वे पूर्व कार्यकाल के फंड और निविदा पर आधारित हैं। पूर्व में 25 से 30 प्रतिशत विलो तक के कार्य कराए जा चुके हैं, ऐसे में 11 प्रतिशत विलो पर निविदा निरस्त किया जाना परिषद की नीयत और मानसिकता पर सवाल खड़े करता है।
विकास में बाधा बन रही गुटबाजी
स्थानीय स्तर पर यह भी कहा जा रहा है कि परिषद सदस्यों और अध्यक्ष के बीच चल रही आपसी खींचतान और गुटबाजी जब तक समाप्त नहीं होगी, तब तक नगर का समुचित विकास संभव नहीं है। यदि इस बार भी निविदा निरस्त होती है तो डीएमएफ फंड के अन्य विभाग में स्थानांतरित होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।
धर्मजयगढ़ बस स्टैंड सौंदर्यीकरण जैसी महत्वपूर्ण परियोजना राजनीतिक खींचतान, पुराने स्टीमेट और प्रशासनिक असहमति की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। समय रहते यदि ठोस निर्णय नहीं लिए गए, तो नगर को मिलने वाला बड़ा विकास अवसर हाथ से निकल सकता है।





