छत्तीसगढ़

राजधानी में फर्जी रजिस्ट्री कांड: मृत महिला के नाम पर फर्जी मुख्तियारनामा, केबल माफिया गुरुचरण सिंह होरा सहित 7 पर धोखाधड़ी और कूटरचना का केस दर्ज

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रायपुर। अपने रसूख और प्रभाव का इस्तेमाल कर केबल व्यवसायियों और आम लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाले केबल माफिया एवं भू-माफिया गुरुचरण सिंह होरा अब खुद 420 के मामले में फंस गए हैं। राजधानी में मृत महिला को जीवित दर्शाकर फर्जी रजिस्ट्री का मामला सामने आया है। सिविल लाइन पुलिस ने मृत महिला के नाम पर फर्जी मुख्तियारनामा बनवाकर जमीन हड़पने के आरोप में गुरुचरण सिंह होरा सहित 7 लोगों पर धोखाधड़ी, कूटरचना और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है।

मामले की शुरुआत
रिटायर्ड शिक्षक देवनाथ देवांगन और अन्य ने रायपुर के चंगोराभाठा क्षेत्र में खसरा नंबर 78 के हिस्से की जमीन चमारिन बाई सोनकर के वारिसों से खरीदी थी। जब वे अपनी खरीदी हुई जमीन पर कब्जा लेने पहुंचे, तो वहां गुरुचरण सिंह होरा, मंजीत सिंह, इंद्रपाल सिंह, रंजित सिंह, हरपाल सिंह, अविनाश सिंह और लवी बेदी ने जमीन को अपना बताते हुए उन्हें धमकाकर भगा दिया।

मृत महिला को बताया जीवित….
जांच में सामने आया कि चमारिन बाई सोनकर की मृत्यु 1980 में हो चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद आरोपियों ने 1999 में उन्हें जीवित बताते हुए उनके नाम से एक फर्जी मुख्तियारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) बनवाया। इस दस्तावेज में “निर्मला सोनकर” नाम की काल्पनिक महिला को दिखाकर जमीन को गुरुचरण सिंह होरा और उसके साथियों के नाम रजिस्ट्री करवा लिया गया।

न्यायालय ने माना मुख्तियारनामा फर्जी…
पीड़ितों ने न्यायालय में इस पूरे मामले की शिकायत की, जहां अदालत ने जांच के बाद निर्मला सोनकर के नाम से बने मुख्तियारनामा को फर्जी और शून्य घोषित कर दिया।
इसके बावजूद जब पीड़ित अपनी जमीन पर कब्जा लेने पहुंचे, तो गुरुचरण सिंह होरा और उनके साथियों ने धमकाकर उन्हें वहां से भगा दिया और अपने नाम का बोर्ड लगा दिया।

पुलिस ने दर्ज किया केस….
पीड़ित की शिकायत पर सिविल लाइन थाना पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों पर धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जी दस्तावेज), 468 (कूटरचना) सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। हालांकि अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

गुरुचरण सिंह होरा वही कारोबारी हैं जो रायपुर,दुर्ग, भिलाई ,रायगढ़ सहित पूरे प्रदेश में केबल नेटवर्क कारोबार में विवादों और रसूख के चलते चर्चाओं में रहे हैं। अब जमीन घोटाले में उनका नाम आने के बाद एक बार फिर उनकी कार्यप्रणाली और प्रभाव पर सवाल उठने लगे हैं।

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