AIPF का चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न: लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण और व्यापक जनएकता पर जोर

AIPF National Convention 2025
नई दिल्ली के सुरजीत भवन में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (AIPF) का दो-दिवसीय चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ। अधिवेशन में राष्ट्रीय राजनीतिक परिस्थिति, संगठनात्मक समीक्षा, आगामी कार्ययोजना और नए नेतृत्व का चुनाव प्रमुख एजेंडा रहा।

नया नेतृत्व चुना गया
AIPF ने एस. आर. दारापुरी को दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना।
डॉ. राहुल दास को महासचिव और कशु शुभमूर्ति को संगठन महासचिव की जिम्मेदारी दी गई।
नसीम खान और विजय सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुने गए।
पुष्पा उरांव, सविता गोंड, अमृता और अमर सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।
दिनकर कपूर को कोषाध्यक्ष तथा सुरेश चंद्र बिंद को कार्यालय सचिव नियुक्त किया गया।
संगठन ने 43 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति और 19 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यसमिति का गठन भी किया। इसके अलावा सलाहकार मंडल का गठन किया गया, जिसमें शुभमूर्ति, राघवेंद्र कुस्तुगी, अक्षय कुमार, जया मेहता, डॉ. दिनेश ओबेरॉय, कल्पना शास्त्री, सतेंद्र रंजन, पांडियन कविता शास्त्री और डॉ. रमन शामिल हैं।
हिंदुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ पर गंभीर चिंतन
अधिवेशन को संबोधित करते हुए संस्थापक सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदुत्व की प्रेरक शक्ति वैश्विक वित्तीय पूँजी है, जिसने संविधान और लोकतांत्रिक ढांचे पर गहरा संकट खड़ा किया है।
उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट–हिंदुत्व गठजोड़ के खिलाफ मजबूत राजनीतिक आवाज और व्यापक लोकतांत्रिक मोर्चे की जरूरत है।
सिंह ने कहा कि—
“सत्ता में हिस्सेदारी से न्याय संभव नहीं, जब तक राज्य का चरित्र लोकतांत्रिक न बने।”
उन्होंने यह भी कहा कि देश को यह स्पष्ट विमर्श देने की आवश्यकता है कि पूँजी, तकनीक और बाजार का निर्माण जनता-केंद्रित और स्वावलंबी मॉडल पर हो।
वैश्विक दक्षिण की एकता पर चर्चा
अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि अमेरिका जिन वैश्विक संस्थाओं की आधारशिला रखता आया था, आज उन्हें ही कमजोर कर रहा है।
उन्होंने वैश्विक दक्षिण की न्यायोन्मुखी, स्वतंत्र और ठोस एकजुटता को समय की मांग बताया।
वैज्ञानिक दिनेश अबरोल और डॉ. रमन ने विज्ञान को समाज और लोकतंत्र की प्रगति के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा अंधविश्वास और दकियानूसी अवधारणाओं को बढ़ावा देना संविधान की मूल भावना के विपरीत है।
अधिवेशन का निष्कर्ष
दो दिनों की विमर्श प्रक्रिया के बाद अधिवेशन ने निम्न निष्कर्ष जारी किए—
- हिंदुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ के विरुद्ध व्यापक लोकतांत्रिक मंच का निर्माण समय की ऐतिहासिक आवश्यकता है।
- युवाओं, महिलाओं, किसानों, श्रमिकों व उपेक्षित तबकों के अधिकारों पर आधारित जन-लोकतांत्रिक दिशा ही भविष्य का मार्ग है।
- AIPF आने वाले वर्ष में रोजगार, सामाजिक अधिकार, लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा और आर्थिक न्याय जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय पहल करेगा।
अधिवेशन का समापन आचार्य शुभमूर्ति द्वारा आभार ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी प्रतिनिधियों और संगठनों को धन्यवाद देते हुए सामूहिक संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया।





