छत्तीसगढ़

कैदियों को दी जा रही गीता श्‍लोक की ट्रेनिंग रायपुर सेंट्रल जेल मंगलवार को हनुमान चालीसा, शनिवार को सुंदरकांड का हो रहा पाठ,

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गीता परिवार के माध्यम से केन्द्रीय जेल रायपुर के बंदियों को प्रतिदिन एक घंटे गीता का ज्ञान तथा शुद्ध उच्चारण का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। वर्तमान में 21 कैदियों द्वारा गीता सीखकर कंठस्थरीकरण करते हुए गीता परिवार द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली गई है।

रायपुर। बंदियों के मानसिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिए केन्द्रीय जेल प्रशासन द्वारा जेल में लगभग 60 बंदियों की रामायण मंडली बनाई गई है। मंडली द्वारा विभिन्न बैरकों में प्रत्येक त्यौहारों के अवसर पर रामायण का पाठ तथा प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा तथा प्रत्येक शनिवार को सुंदरकांड का पाठ कराया जा रहा है।

केन्द्रीय जेल प्रशासन द्वारा मंडली को हारमोनियम, केसियो, तबला ढोलक, मंजीरा तथा माइक सिस्टम प्रदाय किये गये है। इस प्रकार के प्रयास से बदी जेल में आध्यात्म से जुड़कर अपने समस्त जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए जीवन के प्रति सकारात्मक तथा अवसाद मुक्त हो रहे है तथा उनके व्यवहार में भी उल्लेखनीय बदलाव हो रहा है।

इसके साथ ही प्रतिदिन गीता परिवार के माध्यम से बंदियों को प्रतिदिन एक घंटे गीता का ज्ञान तथा शुद्ध उच्चारण का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। वर्तमान में 21 कैदियों द्वारा गीता सीखकर कंठस्थरीकरण करते हुए गीता परिवार द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली गई है।

गांव में भी किया मंडली का गठन
रामायण मंडली में मुख्य गायक आजीवन कारावास की सजायाफता बंदी बोधन ने बताया गया कि यह जब भी पेरोल पर घर जाता है। तो अपने गांव के रामायण मंडली में शामिल होता है। गांव वाले भी उससे बोलते है कि इतना अच्छा रामायण जेल में रहकर सीख लिये हो यह तो अद्भुत है। उसने अपने गांव दियागढ़ थाना लैलूंगा में भी यह रामायण मंडली का गठन किया है।

अन्य बंदियों को भी बता रहे गीता सार
इसी प्रकार प्रतिदिन गीता सीखने वाले व रामायण का पाठ करने वाले आजीवन कारावास की सजायाफता चक्रधर ने बताया कि कि प्रतिदिन सीखे गीता के श्लोको का पाठ एवं उसके अर्थ की चर्चा वह प्रतिदिन शान 07.30 से 08.30 बजे तक अपने बैरक में अपने साथी बंदियों के साथ करता है। यह उसके दिनचर्या में शामिल हो गया है तथा अन्य बंदियों को भी प्रेरित करता है।

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