छत्तीसगढ़

धरमजयगढ़ बस स्टैंड जीर्णोद्धार फिर अटका, निविदा विवाद से रुका विकास

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बस स्टैंड की जर्जर स्थिति पर बढ़ी चिंता

धरमजयगढ़ नगर के मध्य स्थित मुख्य बस स्टैंड में रोजाना सौ से अधिक बसों का आवागमन होता है, लेकिन अव्यवस्थित व्यवस्था के कारण यह क्षेत्र चौपाटी जैसा हो गया है। लंबी दूरी की बसें—बनारस, रांची, रायपुर और बिलासपुर की—Bus Stand Jirnoddhar न होने की वजह से अंदर प्रवेश नहीं कर पातीं, जिससे नागरिकों को भारी असुविधा होती है।


98 लाख के DMF Fund के बाद भी कार्य शुरू नहीं, निविदा फिर रद्द

पूर्व मंडल अध्यक्ष तथा वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष के प्रयास से DMF Fund के तहत 98 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे। इसके बावजूद Bus Stand Jirnoddhar शुरू नहीं हो पाया क्योंकि नगर पंचायत अध्यक्ष ने निविदा दर 11.1% विलो होने के बावजूद उसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि “विलो दर अधिक है।”
इससे Nivida Vivad और गहरा गया, जबकि पिछले कई वर्षों से 25% से 32% विलो दर पर कार्य होते आए हैं।


पुरानी CSR बनाम नई PWD दर—तकनीकी मुद्दे पर राजनीति हावी

बस स्टैंड के लिए तैयार स्टीमेट 2015 की CSR दरों पर आधारित है, जबकि PWD ने 2023 की अद्यतन CSR जारी कर दी है, जो लगभग 30–40% अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी दर पर 32% विलो कार्य स्वीकार किया जा सकता है, परंतु कम विलो दर के बावजूद निविदा निरस्त करना Dharamjaygarh Nagar Panchayat में निर्णय प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।


‘चहेते ठेकेदार’ का आरोप, पार्षदों में नाराजगी

कई पार्षदों और ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि निविदा रद्द करने का उद्देश्य अध्यक्ष के “चहेते ठेकेदार” को लाभ पहुँचाना है। पब्लिक प्लेस में निविदाकारों द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद विवाद बढ़ गया। उपस्थित सदस्यों—पूर्व उपाध्यक्ष, ज़िला भाजपा उपाध्यक्ष, पार्षदगण और CMO—के समक्ष अध्यक्ष द्वारा गलती स्वीकारने और माफी माँगने की घटना ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया।
इससे Nivida Vivad की चर्चा पूरे नगर में गहराती जा रही है।


अध्यक्ष का बयान—‘परिषद निर्णय सर्वोपरि, फंड न होने से विकास रुका’

निविदा संबंधी जानकारी पूछे जाने पर नगर पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि परिषद का निर्णय सर्वोपरि है और अधिक विलो दर की स्थिति में नियमों के तहत स्वीकृति संभव नहीं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले आठ महीनों से कोई फंड जारी न होने के कारण नगर के विकास कार्य, विशेषकर Bus Stand Jirnoddhar, प्रभावित हो रहे हैं।
इस स्थिति को कई पार्षद Vikas Sankat की मुख्य वजह बता रहे हैं।


धरमजयगढ़ विकास में पिछड़ता क्यों?

1956 में अनुविभाग और 1992 में नगर पंचायत बनने के बाद भी धरमजयगढ़ विकास में लगातार पिछड़ता जा रहा है। स्थानीय प्रतिनिधियों और नागरिकों का मानना है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और बार-बार होने वाले Nivida Vivad ने नगर की प्रगति को धीमा कर दिया है।
पार्षदों और जनता के बीच नगर पंचायत अध्यक्ष के कामकाज को लेकर असंतोष बढ़ता दिखाई दे रहा है।

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