छत्तीसगढ़

अस्पताल विवाद ने पकड़ा तूल, जांच पर असर डालने के आरोप, स्टाफ ने की निष्पक्ष जांच की मांग

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बलरामपुर ।  वाड्रफनगर स्थित 100 बिस्तर अस्पताल में चल रहा विवाद अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सकों के बीच मतभेद इतने बढ़ गए कि मामला विभागीय जांच तक जा पहुंचा। विवाद की जड़ में सिविल अस्पताल वाड्रफनगर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमंत दीक्षित हैं, जिन पर छत्तीसगढ़ प्रदेश नर्सेस एसोसिएशन ने पद के दुरुपयोग और अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए हैं।

नर्सिंग एसोसिएशन ने उठाई थी मांग

प्राप्त जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ प्रदेश नर्सेस एसोसिएशन की प्रांताध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा द्वारा 23 सितंबर 2025 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) बलरामपुर को पत्र भेजा गया था। पत्र (क्रमांक 474) में आरोप लगाया गया था कि डॉ. दीक्षित द्वारा अस्पताल में कार्यरत महिला नर्सों और स्टाफ के साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है, जिससे कार्य वातावरण बिगड़ गया है।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि डॉ. दीक्षित द्वारा अस्पताल प्रशासनिक नियमों की अनदेखी करते हुए मनमानी की जा रही है। कई स्टाफ नर्सों को अनुचित तरीके से स्थानांतरित किया गया और ड्यूटी चार्ट में बिना अनुमति बदलाव किए गए।

इस पत्र के आधार पर जिला बलरामपुर-रामानुजगंज के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा 3 अक्टूबर 2025 को जांच के आदेश जारी किए गए (पत्र क्रमांक 2442)। जांच टीम का नेतृत्व डॉ. प्रेमचंद बनर्जी को सौंपा गया।

9 अक्टूबर को हुई जिला स्तरीय जांच

वाड्रफनगर के 100 बिस्तर अस्पताल परिसर में 9 अक्टूबर 2025 को जिला स्तरीय जांच समिति ने मौके पर पहुंचकर संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए। जांच में नर्सिंग स्टाफ, चिकित्सक एवं अन्य कर्मचारियों ने अपने-अपने बयान दिए।

हालांकि इस जांच को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया। अस्पताल स्टाफ ने आरोप लगाया कि जांच के दौरान प्रभारी अधिकारी डॉ. हेमंत दीक्षित ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की।

स्टाफ का आरोप — “जांच निष्पक्ष नहीं रही”

कई नर्सिंग कर्मचारियों ने कहा कि शिकायत सिविल अस्पताल वाड्रफनगर से संबंधित थी, लेकिन डॉ. दीक्षित ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए पूरे विकासखंड के PHC एवं स्वास्थ्य केंद्रों के कर्मचारियों को जांच स्थल पर बुलाया।
उनका कहना था कि —

“जांच टीम को केवल अस्पताल के कर्मचारियों से बयान लेने चाहिए थे। बाहरी स्टाफ को शामिल कर जांच प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।”

एक अन्य कर्मचारी ने बताया —

“हमने कई बार अनुचित व्यवहार की शिकायत की थी, लेकिन डॉ. दीक्षित की पहुंच के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बार जब मामला सार्वजनिक हुआ, तो प्रशासनिक दबाव में जांच की जा रही है।”

एसोसिएशन का रुख सख्त

प्रांताध्यक्ष सुमन शर्मा और प्रांतीय सचिव एम. उर्मिला द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि यदि जांच में किसी भी प्रकार की पक्षपातपूर्ण प्रक्रिया अपनाई गई, तो नर्सिंग एसोसिएशन बड़े आंदोलन की तैयारी करेगी।
पत्र में यह भी चेतावनी दी गई कि

“यदि अस्पताल में कार्यरत नर्सों के साथ भेदभाव या उत्पीड़न की पुष्टि होती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।”

रिपोर्ट जल्द CMHO को सौंपे जाने की संभावना

सूत्रों के अनुसार, जांच समिति ने सभी पक्षों के बयान दर्ज कर लिए हैं और अब रिपोर्ट तैयार कर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय बलरामपुर को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

निष्पक्ष जांच की मांग

स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों और नर्सिंग स्टाफ ने जिला प्रशासन से निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि —

“यह केवल एक व्यक्ति या पद का मामला नहीं, बल्कि कार्यस्थल के माहौल और महिला कर्मचारियों की गरिमा से जुड़ा सवाल है।”

मुख्य बिंदु:
• नर्सिंग एसोसिएशन ने प्रभारी अधिकारी को हटाने की मांग की।
• जिला स्तरीय समिति ने 9 अक्टूबर को जांच की।
• स्टाफ का आरोप — बाहरी कर्मचारियों को बुलाकर जांच प्रभावित की गई।
• रिपोर्ट जल्द CMHO बलरामपुर को सौंपी जाएगी।
• नर्सिंग एसोसिएशन ने आंदोलन की चेतावनी दी।

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