छत्तीसगढ़

“युक्तियुक्तिकरण की धज्जियां उड़ाईं – बीईओ के.आर. दयाल के संरक्षण में शिक्षकों की दोहरी पदस्थापना!”

Advertisement

पौड़ी-उपरोड़ा शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

एक ही शिक्षिका दो पदों पर कार्यरत – बीईओ पर मिलीभगत का आरोप, जिला पंचायत अध्यक्ष बोले- “भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा”

कोरबा/पौड़ी-उपरोड़ा विकासखंड पौड़ी-उपरोड़ा में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। शासन द्वारा लागू युक्तियुक्तिकरण की प्रक्रिया, जिसका उद्देश्य था बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षकों की सही तैनाती सुनिश्चित करना, अब विवादों में घिरती जा रही है। आरोप है कि विभागीय मिलीभगत से कुछ शिक्षकों को एक साथ दो-दो पदों पर कार्य करने की अनुमति दी गई है। यह न केवल शिक्षा व्यवस्था का मजाक है बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।


प्रिया नागवंशी का मामला सुर्खियों में

सूत्रों के अनुसार, प्राथमिक शाला केंदहाड़ाड में पदस्थ सहायक शिक्षिका प्रिया नागवंशी वर्तमान में आदि कन्या आश्रम, तुमान में अधीक्षिका के रूप में भी कार्यरत हैं। यानी एक ही व्यक्ति दो अलग-अलग पदों पर कार्य कर रहा है।

जानकारी के मुताबिक नागवंशी ने लिखित आवेदन देकर बताया कि केंदहाड़ाड स्कूल उनके निवास से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। शिशु के साथ रोजाना बस से आना-जाना कठिन होने के कारण उन्होंने पास ही स्थित आश्रम में काम करने की अनुमति मांगी। आश्चर्यजनक यह है कि इस आवेदन पर स्वयं बीईओ के.आर. दयाल ने अनुमति प्रदान कर दी।

यही से बड़ा सवाल खड़ा होता है—

क्या बीईओ के. आर.दयाल को इस तरह की लिखित अनुमति देने का कानूनी अधिकार है?
यदि नहीं, तो यह कार्रवाई नियमों के विरुद्ध और भ्रामक है।


प्रधानपाठक प्रभार पर भी सवाल

केंदहाड़ाड स्कूल की प्रधानपाठक सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। लेकिन उनके स्थान पर किसी नियमित शिक्षक को प्रभार नहीं दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि नागवंशी की माता भी शिक्षिका हैं और दोनों आपसी समझ से एक-दूसरे को बचाने की कोशिश कर रही हैं।


अन्य मामले भी उजागर

यह कोई अकेला मामला नहीं है। इसी तरह—

प्राथमिक शाला खुर्रुभाठा की प्रधानपाठक लक्ष्मी सिदार स्कूल से गायब रहकर हरदी बाजार आश्रम में अधीक्षिका का कार्य कर रही हैं।

नदियापार सालिहाभाठा की स्वर्णलता भारती, सहायक शिक्षक रहते हुए आश्रम पौड़ी-उपरोड़ा में अधीक्षिका के पद पर काम कर रही हैं।


सूत्रों के अनुसार, कुछ और संलग्न शिक्षक भी रिलीव होने के बाद अपनी पुरानी शालाओं में बने हुए हैं और वहीं से वेतन भी ले रहे हैं। विभागीय अधिकारियों की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।



बीईओ पर गंभीर आरोप

ग्रामीणों और शिक्षा क्षेत्र के जानकारों ने आरोप लगाया है कि यह सब बीईओ के.आर. दयाल के संरक्षण में हो रहा है। कथित तौर पर दयाल ने कहा—
“बच्चों की परीक्षा दिलवाने के बाद शिक्षिका आश्रम में अधीक्षिका का कार्य कर सकती हैं।”

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब स्कूल और आश्रम 50 किलोमीटर दूर हैं तो रोजाना दोनों जगह उपस्थिति कैसे संभव है? और क्या बीईओ को नियमों के विरुद्ध ऐसी लिखित अनुमति देने का अधिकार है?




जिला पंचायत अध्यक्ष का सख्त बयान

इस पूरे मामले पर जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. पवन सिंह ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा—
“शिक्षा विभाग की अनियमितताएं, भ्रष्टाचार और लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मैं कई बार अनुपस्थित शिक्षकों की शिकायत विभाग तक पहुँचाता रहा हूँ, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच होगी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई अनिवार्य है।”


बच्चों का भविष्य खतरे में

शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि एक ही शिक्षक को दो-दो पदों पर बैठा दिया जाता है, तो इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। युक्तियुक्तिकरण का असली उद्देश्य ध्वस्त होता नज़र आ रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि विभाग की इस लापरवाही ने बच्चों के भविष्य को अधर में डाल दिया है।


कार्रवाई की मांग

ग्रामीणों, अभिभावकों और शिक्षा क्षेत्र के जागरूक लोगों ने कलेक्टर और सहायक आयुक्त से मांग की है कि बीईओ कार्यालय की भूमिका की निष्पक्ष जांच की जाए। साथ ही जिन अधिकारियों ने नियमों के विरुद्ध लिखित अनुमति दी है, उन पर विभागीय स्तर पर कठोर कार्रवाई की जाए।



निष्कर्ष

पौड़ी-उपरोड़ा का यह मामला सिर्फ एक शिक्षिका का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग की साख पर सवाल है। यदि समय रहते इस पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह लापरवाही बच्चों के भविष्य और शासन की छवि दोनों को गहरी चोट पहुँचा सकती है

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button