मंत्री के क्षेत्र में प्रसूता को झलगी पर ढोया गया ,विकास के दावे धराशायी

सूरजपुर। भैयाथान विकासखंड की ग्राम पंचायत बड़सरा से निकली दर्दनाक तस्वीर ने शासन–प्रशासन और नेताओं के विकास के दावों की पोल खोल दी है। मंगलवार सुबह 25 वर्षीय मानकुंवर, पत्नी इंद्रदेव सिंह (निवासी आमाखोखा, ग्राम बड़सरा) का घर पर ही प्रसव हुआ। प्रसव उपरांत महिला की हालत बिगड़ गई। घबराए परिजनों ने तुरंत महतारी एक्सप्रेस को फोन किया, लेकिन खस्ताहाल सड़क के कारण एम्बुलेंस गाँव तक नहीं पहुँच सकी और एक किलोमीटर पहले ही रुक गई।
मजबूर ग्रामीणों ने प्रसूता को झलगी पर डालकर एम्बुलेंस तक पहुँचाया। यह दृश्य देखकर हर किसी का दिल दहल गया।
मंत्री का क्षेत्र, हालात बदहाल
यह घटना इसलिए और चौंकाने वाली है क्योंकि यह प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री का विधानसभा क्षेत्र है। जिनके जिम्मे मातृ स्वास्थ्य, पोषण और सुरक्षित मातृत्व की योजनाएँ हैं, वहीं उनकी ही विधानसभा की महिलाएँ प्रसव के बाद झलगी पर ढोई जा रही हैं।
सरकार भले ही करोड़ों रुपए खर्च करने और हर गाँव तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत यह है कि मंत्री के क्षेत्र की महिलाओं को अब भी सड़क और एम्बुलेंस जैसी बुनियादी सुविधा तक नसीब नहीं है।
बरसों से सड़क की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क के निर्माण की मांग वे वर्षों से कर रहे हैं। कई बार आवेदन भी दिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। चुनाव के समय नेताओं के वादों की झड़ी लगती है, पर जीत के बाद सब गायब हो जाते हैं।
खोखले वादों का पर्दाफाश
यह घटना सिर्फ एक महिला की परेशानी नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की नाकामी का आईना है।
👉 क्या मंत्री और प्रशासन को यह सब नहीं दिखता?
👉 क्या जनता चुनाव के बाद केवल झलगी पर ढोने के लिए छोड़ दी जाती है?
👉 क्या विकास का मतलब केवल मंचों पर भाषण देना रह गया है?
ग्रामीणों की आवाज़
“बरसों से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं।”
“मंत्री जी मंच से कहती हैं कि महिलाएँ सुरक्षित हैं, लेकिन हमारी महिलाएँ तो एम्बुलेंस तक नहीं पहुँच पातीं।”
“नेता वोट मांगने आते हैं, फिर सड़क, पानी और स्वास्थ्य सब भूल जाते हैं।”
जनता का भरोसा टूटा
भैयाथान क्षेत्र के बड़सरा गाँव की यह घटना मानवता को शर्मसार करने के साथ–साथ शासन–प्रशासन की संवेदनहीनता और नेताओं की वादाखिलाफी का जीता–जागता सबूत है। विकास के नाम पर किए जा रहे खोखले दावों की असलियत – एक झलगी पर ढोई गई प्रसूता ने खोल दी है।





