हाथियों का हुंकार: प्रेमनगर में रातें दहशत में, वन विभाग पर ग्रामीणों का गुस्सा फटा!

धरमजयगढ़@प्रतीक : प्रेमनगर में जंगल का बादशाह अब बस्तियों पर कब्जा जमाने को बेकरार! रात का सन्नाटा टूटते ही हाथियों का रौद्र रूप सड़कों पर नाचने लगता है, घरों की दीवारें हिलाने लगता है। ग्रामीणों की सांसें थमीं, बच्चे खौफ में, और बाहर निकलना जैसे जिंदगी से जुआ खेलना! बीते कई दिनों से ये तांडव थमने का नाम नहीं ले रहा, और वन विभाग की नींद ऐसी कि भूकंप भी शायद न तोड़ पाए!
गुस्से से उफनते ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर डीएफओ कार्यालय के चक्कर काटने पहुंचे, मगर वहां न अधिकारी, न जवाब—बस खाली कुर्सियां और बेकार इंतजार! सब्र का पैमाना छलकते ही ग्रामीण धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र कार्यालय की ओर दौड़े, जहां कर्मचारियों से तीखी तकरार ने माहौल को जंग का मैदान बना दिया। “हाथी हमारी जिंदगी निगल रहे, और तुम लोग फाइलें निगल रहे!”—एक ग्रामीण का ये गुस्सा वन विभाग की नाकामी का चटक आइना है।
ग्रामीणों का इल्जाम है कि वन विभाग की सुस्ती ने हाथियों को बस्तियों का रास्ता दिखा दिया। “रात को जान सांसत में, दिन में शिकायत लेकर भटक रहे, फिर भी कोई सुनवाई नहीं!”—ये चीख अब उग्र आंदोलन की धमकी में बदल चुकी है।
वन विभाग की ओर से न कार्रवाई, न बयान—बस सन्नाटा। अब सवाल ये कि प्रेमनगर के लोग कब तक इस जंगल राज के गुलाम बने रहेंगे? क्या वन विभाग की कुंभकर्णी नींद टूटेगी, या ग्रामीणों का लावा सड़कों पर बहेगा? फिलहाल, प्रेमनगर की रातें खौफ के काले साये में डूबी हैं, और ग्रामीणों का गुस्सा आसमान छू रहा है!





