सुखराम उरांव ने दी दिशुम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि कहा, राजनीतिक जीवन में मेरे पिता तुल्य थे गुरुजी

चक्रधरपुर। झारखंड की राजनीति के पुरोधा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशुम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर पूरे राज्य में शोक की लहर है। चक्रधरपुर विधानसभा से विधायक सुखराम उरांव ने गहरे शोक और संवेदना व्यक्त करते हुए गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा, गुरुजी मेरे लिए केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि पिता तुल्य थे. मैंने अपने जीवन में दो बार पिता को खोया। एक बार अपने जन्मदाता लट्टू उरांव को और अब दूसरी बार राजनीति में मुझे पहचान देने वाले पिता तुल्य गुरुजी को.
गुरुजी के सान्निध्य में सीखा राजनीति का पहला पाठ
सुखराम उरांव ने भावुक होते हुए कहा कि उन्होंने राजनीति में जो भी सीखा, वह सब दिशुम गुरु शिबू सोरेन के मार्गदर्शन में ही सीखा। 2005 में जब झारखंड विधानसभा का चुनाव हो रहा था, तब गुरुजी ने ही मुझे झारखंड मुक्ति मोर्चा से प्रत्याशी बनाया. उन्हीं की कृपा और आशीर्वाद से मैं विधायक बना और आज जिस मुकाम पर हूं, उसका एक-एक क़दम मैं गुरुजी को समर्पित करता हूं।
हर संकट में गुरुजी की छाया बनी रही मार्गदर्शक
उन्होंने कहा कि जब भी वह किसी कठिन परिस्थिति में होते, गुरुजी का आशीर्वाद उन्हें रास्ता दिखाता था. गुरुजी की उपस्थिति ही मेरे लिए संबल और शक्ति का स्रोत थी। अब उनके निधन से ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सिर से मेरे बुजुर्ग का साया हमेशा के लिए उठ गया है.
झामुमो परिवार का संरक्षक थे गुरुजी
सुखराम उरांव ने कहा कि गुरुजी केवल उनके ही नहीं, बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के हर समर्पित नेता और कार्यकर्ता के ‘पिता तुल्य’ थे. उनके जाने से पार्टी संगठन खुद को बेसहारा महसूस कर रहा है।
गुरुजी के साथ की यादें हुईं ताज़ा
विधायक सुखराम उरांव ने बताया कि जब भी वह अपने विधानसभा क्षेत्र चक्रधरपुर में गुरुजी को आमंत्रित करते, वह सहर्ष आते और सभी को प्रेरित करते. मेरे पिता की स्मृति में आयोजित ‘लट्टू उरांव स्मारक फुटबॉल प्रतियोगिता’ में गुरुजी कई बार शामिल हुए। उनका हमारे बीच आना उन्हें भी बहुत प्रिय था और हम सबके लिए गौरव की बात होती थी.
शोक संवेदना और प्रार्थना
सुखराम उरांव ने ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा, हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि गुरुजी की आत्मा को शांति मिले, उनके सुपुत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस कठिन घड़ी में धैर्य और संबल मिले, साथ ही पूरे परिवार को अमन और शांति की प्राप्ति हो।





