छत्तीसगढ़

“नियमित आफतकाल से बेहतर था सीमित आपातकाल” — अनिल शुक्ला का भाजपा पर तीखा प्रहार

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रायगढ़ । आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा इसे काले अध्याय के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने आपातकाल को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखने की अपील करते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला।

अनिल शुक्ला ने कहा कि 1975 का आपातकाल तात्कालिक परिस्थितियों की आवश्यकता थी, जिसे आज की सत्ता पार्टी केवल नकारात्मक रूप में प्रस्तुत कर जनता को भ्रमित कर रही है। उन्होंने दावा किया कि उस दौर में कई ऐसे सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक सुधार हुए, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता।

आपातकाल के सकारात्मक पहलुओं को किया उजागर

शुक्ला ने कहा कि आपातकाल के दौरान आर्थिक अनुशासन और श्रम उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिली। शहरीकरण, स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में भी सुधार दर्ज किए गए।
उन्होंने यह भी बताया कि उस समय प्रशासनिक पारदर्शिता, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिला। तकनीकी विकास और आधुनिकीकरण को भी गति दी गई, जो देश के दीर्घकालीन विकास में सहायक सिद्ध हुआ।

वर्तमान सरकार पर गंभीर आरोप

अनिल शुक्ला ने भाजपा और केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आज देश ‘नियमित आफतकाल’ से गुजर रहा है, जहां ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन में कानून व्यवस्था चरमराई हुई है, महिला अत्याचार, गरीबों पर दमन, और बेरोजगारी चरम पर है। यह सब किसी अघोषित आपातकाल से कम नहीं है।

विधायक ओपी चौधरी पर तंज

शुक्ला ने विधायक और केबिनेट मंत्री ओमप्रकाश चौधरी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी और मोटिवेशनल वक्ता होने के नाते उन्हें वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “गिलास आधा भरा हो तो नजरिया ही तय करता है कि आप उसे कैसे देखते हैं। ओपी चौधरी यदि सकारात्मक पहलुओं पर भी ध्यान देते तो शायद आपातकाल को विवाद का मुद्दा न बनाते।”

कृषि कानून और सरकार की संवेदनहीनता पर निशाना

शुक्ला ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि इस आंदोलन में 700 से अधिक किसानों ने जान गंवाई, लेकिन केंद्र सरकार ने न तो संवेदना जताई और न ही माफी मांगी। उन्होंने इसे “वास्तविक आपातकाल” बताया।

भाजपा से जवाब मांगते हुए उठाए कई सवाल

उन्होंने भाजपा से सीधे सवाल किए कि क्या वह स्वीकार करेगी —

नोटबंदी एक गंभीर प्रशासनिक भूल थी?

नागरिकता संशोधन कानून भेदभावपूर्ण है?

राफेल सौदे में पारदर्शिता का अभाव था?

पेगासस स्पाइवेयर का प्रयोग गैरकानूनी था?


मीसाबंदी बनाम किसान पेंशन

अनिल शुक्ला ने मांग की कि मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन को बंद कर, कृषि आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को पेंशन दी जाए।

“वाशिंग मशीन राजनीति” का तंज

भाजपा की कथित ‘वाशिंग मशीन’ राजनीति पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को बेनकाब करने के लिए किसी प्रदर्शनी की जरूरत नहीं है, केवल वाशिंग मशीन का डेमो ही काफी है।

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