
रायगढ़@खबर सार :- रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड में PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत चना वितरण का मामला गर्मागर्म है। गरीबों के हक का चना कई महीनों से गायब है, और राशन दुकानों पर सिर्फ बहाने परोसे जा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि दुकानदार ई-पॉश मशीन में अंगूठा लगवाकर कागजों पर चना बांटने का ढोंग रच रहे हैं, लेकिन हकीकत में न चना मिल रहा है, न जवाब।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत हर राशन कार्डधारक को प्रति माह 1 किलो चना मिलना तय है, मगर खरसिया के हितग्राही महीनों से खाली हाथ हैं। स्थानीय सरपंच का गुस्सा फूट पड़ा, कहा मुझे पता पड़ा “कई महीने से चना का नामोनिशान नहीं। दुकानदार कहता है, गोदाम से चना आया ही नहीं। फिर रजिस्टर में बांटा कैसे दिखा रहे हैं?” एक अन्य ग्रामीण महिला, बसंती निषाद ने तल्ख लहजे में कहा, “हमारा अंगूठा लेते हैं, और कहते हैं चना खत्म। यह चना बाजार में बिक रहा है, और अफसर खामोश हैं!”
आरोप गंभीर हैं कि PDS दुकानदार चने की कालाबाजारी में लिप्त हैं, और खाद्य निरीक्षकों की चुप्पी इस खेल को और हवा दे रही है। सूत्रों की मानें तो यह संगठित लूट का नेटवर्क है, जिसमें ऊपर से नीचे तक की मिलीभगत हो सकती है। कोरबा और बिलासपुर जैसे जिलों में भी चना वितरण में गड़बड़ी की खबरें सामने आई थीं, जहां शासन ने आवंटन में कमी का हवाला दिया। लेकिन खरसिया में न तो चना है, न जांच में कोई तेजी।
जिला खाद्य अधिकारी से बात करने पर कहा, “चना भरपूर है और PDS में पूरे महीने का जा चुका है, वह मामले पर जांच चल रही है। दोषी पाए गए तो कार्रवाई होगी।” मगर ग्रामीणों का सवाल है, “कब होगी कार्रवाई?” स्थानीय लोगों का कहना है कि ये जवाब सिर्फ समय टालने की कवायद हैं।
विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने तंज कसते हुए कहा, “गरीब का चना लूटकर अमीरों की तिजोरी भर रही सरकार! खाद्य विभाग के अफसरों की मिलीभगत की जांच हो, वरना यह लूट चलती रहेगी।”
खरसिया की जनता अब उबल रही है। सवाल गूंज रहे हैं- गरीबों का चना आखिर गया कहां? क्या खाद्य विभाग इस घोटाले को दबाने की साजिश रच रहा है? या फिर कोई बड़ा खुलासा होगा? फिलहाल, हितग्राहियों के सब्र का इम्तिहान जारी है, और प्रशासन की चुप्पी सवालों को और गहरा रही है।




