सूरजपुर @कौशलेन्द्र यादव । छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर ब्लॉक में स्थित बरबसपुर हाई स्कूल से शिक्षा जगत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। स्कूल के हेडमास्टर सुशील कुमार कौशिक ने अपने सहकर्मी महिला शिक्षिका को डराने और धमकाने के लिए शराब के नशे में स्कूल में पिस्टल लेकर पहुंचने की सनसनीखेज घटना को अंजाम दिया। इस घटना से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें सुशील कुमार को पिस्टल लहराते हुए साफ देखा जा सकता है। शिक्षिका ने तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी को घटना की सूचना दी और प्रतापपुर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।
निलंबन के साथ शुरू हुई कार्रवाई
घटना के बाद शिक्षा विभाग ने आरोपी हेडमास्टर को निलंबित कर दिया है। वहीं पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रतापपुर पुलिस ने बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज कर दी गई है।
शिक्षा विभाग पर सवाल
इस घटना ने शिक्षा विभाग और प्रशासनिक लापरवाही को कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रतापपुर ब्लॉक में पदस्थापित खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीईओ पिछले पांच वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत हैं, जबकि नियमानुसार किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को तीन वर्षों से अधिक एक ही स्थान पर पदस्थ नहीं रखा जा सकता।
बीईओ पर आरोप है कि वे स्कूलों की मॉनिटरिंग में पूरी तरह विफल रहे हैं। स्कूलों में शिक्षकों की अनुशासनहीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैया शिक्षा व्यवस्था को खराब कर रहा है। शिक्षकों की ऐसी हरकतों से न केवल विद्यार्थियों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है, बल्कि उनके मनोबल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
घटना ने खोली शिक्षा विभाग की पोल
प्रतापपुर क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था पहले से ही बदहाल है। आए दिन शिक्षकों द्वारा छात्राओं से छेड़छाड़, गुंडागर्दी जैसी घटनाएं सामने आती हैं। इस घटना ने विभाग की कार्यप्रणाली और उच्च अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
विद्यार्थियों में भय का माहौल
हेडमास्टर द्वारा स्कूल में पिस्टल लेकर पहुंचने की घटना से विद्यार्थियों और अन्य शिक्षकों में भय का माहौल बना हुआ है। स्थानीय अभिभावकों ने इस घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
घटना के बाद स्थानीय नेताओं और उच्च अधिकारियों की चुप्पी ने भी जनाक्रोश को बढ़ा दिया है। राजनीतिक संरक्षण के चलते बीईओ और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं।
समाज और सरकार से अपेक्षा
यह घटना न केवल शिक्षा विभाग के लिए शर्मनाक है, बल्कि समाज और सरकार के लिए भी आत्ममंथन का विषय है। अभिभावकों और स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि स्कूलों में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और दोषी अधिकारियों व शिक्षकों पर तत्काल कार्रवाई हो।
बरबसपुर हाई स्कूल की इस घटना ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यदि प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाए तो ऐसी घटनाएं बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं।