सूरजपुर में सरकार के आदेश की खुलेआम अवहेलना, संलग्नीकरण समाप्ति पर कलेक्टर कार्यालय में सन्नाटा

सूरजपुर कौशलेन्द्र यादव । छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 जून 2025 से पूरे प्रदेश में कर्मचारियों के संलग्नीकरण को समाप्त करने का सख्त आदेश जारी किया था, लेकिन सूरजपुर जिला इस आदेश की धज्जियां उड़ाने में अव्वल साबित हो रहा है। जिला मुख्यालय में ही सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय का कोई असर नहीं दिख रहा। खास तौर पर जिला कलेक्टर कार्यालय में अन्य विभागों के कर्मचारी न केवल लंबे समय से संलग्न हैं, बल्कि इस आदेश के बाद भी उनकी कुर्सी पर पकड़ मजबूत बनी हुई है।
जानकारी के अनुसार, जिला कलेक्टर कार्यालय में विभिन्न विभागों के कर्मचारी संलग्नीकरण के तहत जमे हुए हैं और सरकार के आदेश को लागू करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यही स्थिति अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) सूरजपुर के कार्यालय की है, जहां शिक्षा विभाग के दो लिपिक लंबे समय से संलग्न हैं। इन कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में वापस भेजने के लिए कलेक्टर द्वारा कोई पहल नहीं की गई है। बहरहाल सूरजपुर जिले में संलग्नीकरण समाप्ति के आदेश की अनदेखी न केवल प्रशासनिक अनुशासन पर सवाल उठाती है,
बल्कि सरकार की विश्वसनीयता को भी कठघरे में खड़ा करती है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी जल्दी कार्रवाई करता है या यह मुद्दा कागजों में ही दबकर रह जाएगा। कुलमिलाकर जिला प्रशासन को चाहिए कि वह सरकार के आदेश का तत्काल पालन करे और संलग्न कर्मचारियों को उनके मूल विभागों में वापस भेजे, ताकि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
“आदेश कागजों तक सीमित, धरातल पर लागू नहीं”
स्थानीय लोगों और कर्मचारियों के बीच इस बात को लेकर तीखी नाराजगी है कि जब जिला कलेक्टर कार्यालय में ही संलग्नीकरण समाप्त नहीं हुआ, तो अन्य कार्यालयों की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “सरकार के आदेश को लागू करने में जिला प्रशासन की उदासीनता साफ दिख रही है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक अनुशासन को कमजोर कर रही है, बल्कि कर्मचारियों के बीच भी असंतोष पैदा कर रही है।”
क्या कहता हैं नियम… ?
छत्तीसगढ़ सरकार ने संलग्नीकरण समाप्ति के आदेश में स्पष्ट किया था कि सभी कर्मचारियों को उनके मूल विभागों में वापस भेजा जाए, ताकि प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता बढ़े। यह कदम सरकारी कामकाज को सुचारू करने और अनुचित प्रभाव को रोकने के लिए उठाया गया था। लेकिन सूरजपुर में इस आदेश का पालन न होने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या जिला प्रशासन सरकार के निर्देशों को गंभीरता से ले रहा है…?
जिम्मेदारी से पलायन, सवालों के घेरे में कलेक्टर
जिला प्रशासन की इस लापरवाही पर स्थानीय लोगों का कहना है कि जब जिला कलेक्टर कार्यालय ही सरकार के आदेशों की अनदेखी कर रहा है, तो अन्य विभागों और तहसील स्तर के कार्यालयों में स्थिति और भी बदतर होगी। सूरजपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “यह प्रशासनिक अराजकता का प्रतीक है। सरकार नीतियां बनाती है, लेकिन स्थानीय स्तर पर उनकी अवहेलना से जनता का भरोसा टूटता है।”