
प्रकाशन का अनुरोध है-
बिलासपुर. पांच जून को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर जन संस्कृति मंच, बिलासपुर इकाई के तत्वाधान में “पर्यावरण संकट और जलवायु परिवर्तन” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया.कार्यक्रम का उद्देश्य वर्तमान पर्यावरणीय चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर सामाजिक चेतना का निर्माण करना था.
गोष्ठी में जन संस्कृति मंच के सह-सचिव श्रेयांस बुधिया ने एक सशक्त प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया, जिसमें पर्यावरणीय संकट के वैश्विक और स्थानीय पहलुओं, जलवायु असंतुलन के कारणों तथा समाधान के संभावित रास्तों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई.
इस अवसर पर मंच के संरक्षक नंद कश्यप ने पर्यावरण संकट को सांस्कृतिक और नैतिक विमर्श से जोड़ते हुए समाज की भूमिका पर प्रकाश डाला. जसम बिलासपुर के अध्यक्ष मुदित मिश्र ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण आज केवल एक वैज्ञानिक चिंता नहीं, बल्कि यह जनता की लोकतांत्रिक जिम्मेदारी भी है. उन्होंने जन भागीदारी और युवाओं की सक्रिय भूमिका पर जोर दिया.
कार्यक्रम के अंत में खुला संवाद आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्रों से आए प्रतिभागियों ने विचार साझा किए और पर्यावरण संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की दिशा में सुझाव दिए.
गोष्ठी के पश्चात, पर्यावरणकर्मी प्रथमेश मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतीकात्मक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें सभी प्रतिभागी सक्रिय रूप से सम्मिलित हुए. यह आंदोलन पर्यावरण संकट के प्रति जनजागरण और ज़मीनी स्तर पर बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित करने के उद्देश्य से किया गया. प्रतिभागियों ने पर्यावरण संरक्षण को केवल चर्चा का विषय न मानकर उसे क्रियात्मक रूप में अपनाने का संकल्प लिया. यह पहल मंच की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि पर्यावरणीय चिंताओं पर केवल विचार नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने की भी आवश्यकता है.
जन संस्कृति मंच, बिलासपुर का यह प्रयास पर्यावरणीय चेतना को जनमानस तक पहुँचाने का एक सराहनीय कदम है.अब लेखक, संस्कृतिकर्मियों और रचनाकारों को बाहर निकलकर प्रतिवाद दर्ज़ करना ही होगा.