छत्तीसगढ़

बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ की दिशा में सारंगढ़-बिलाईगढ़ ने बढ़ाया महत्वपूर्ण कदम

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जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला सम्पन्न

सारंगढ़-बिलाईगढ़, 20 नवंबर 2025।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ के संकल्प को साकार करने की दिशा में जिला स्तर पर विशेष उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन आज जिला मुख्यालय सारंगढ़-बिलाईगढ़ में किया गया। बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षाविद एवं जनप्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए कलेक्टर संजय कन्नौजे ने कहा कि बाल विवाह बच्चों के जीवन में अधूरा बचपन, शिक्षा का छूट जाना और भविष्य की अनेक समस्याओं की जड़ है। उन्होंने कहा कि—
“बाल विवाह रोकथाम केवल सरकारी कार्य नहीं, बल्कि यह समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। हर व्यक्ति को यह ठानना होगा कि अपने आसपास किसी भी परिस्थिति में बाल विवाह न होने दें।”कलेक्टर ने उपस्थित अधिकारियों से कहा कि वे जमीनी स्तर पर जनजागरूकता को बढ़ाएं और सभी ग्राम पंचायतों एवं वार्डों में सक्रिय समूह बनाकर इस कुरीति के विरुद्ध अभियान को तेज़ करें।
इस अवसर पर डिप्टी कलेक्टर शिक्षा शर्मा ने अपने वक्तव्य में बताया कि बाल विवाह न केवल एक अवैध कृत्य है बल्कि एक बालिका के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर गंभीर प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि बेटियों को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान देना सभी का कर्तव्य है। यदि परिवार और समाज उचित उम्र तक विवाह की अनुमति देते हैं तो बालिकाएं अपने जीवन में आगे बढ़कर नई ऊँचाइयाँ प्राप्त कर सकती हैं।

कार्यक्रम में अधिवक्ता अनुरोध कुमार पटेल ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 और अन्य कानूनी प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाल विवाह होने से पहले ही सूचना देकर रोकने वालों को कानून सुरक्षा प्रदान करता है तथा इसके आयोजन या सहयोग करने वालों के विरुद्ध सख्त दंड प्रावधानित है। उन्होंने ग्रामीण स्तर पर गठित बाल संरक्षण समितियों को सक्रिय रूप से कार्य करने की आवश्यकता बताई।

विभागीय अधिकारियों ने विभिन्न योजनाओं और जनजागरूकता कार्यक्रमों पर प्रेजेंटेशन देते हुए कहा कि— पंचायत स्तर पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी,संदिग्ध मामलों की सूचना तुरंत विभाग को दी जाएगी,विद्यालयों और सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से जागरूकता अभियान चलेंगे,किशोर-किशोरी समूहों को अधिक सशक्त और प्रशिक्षित किया जाएगा

कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने वीडियो प्रेजेंटेशन और वास्तविक अनुभव साझा कर प्रतिभागियों को जागरूक किया। उपस्थित लोगों ने शपथ लेकर कहा कि वे अपने परिवार, पड़ोस और समाज में किसी भी स्थिति में बाल विवाह नहीं होने देंगे।कार्यक्रम का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने किया तथा समापन अवसर पर सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए यह संदेश दिया गया कि—
“सशक्त बेटियाँ, सुरक्षित भविष्य और शिक्षित समाज — यही बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ की वास्तविक पहचान होगी।”

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