एसईसीएल के 100 करोड़ मुआवजा घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई : दो नेताओं पर फर्जी तरीके से करोड़ों की राशि लेने का आरोप

केंद्र सरकार के उपक्रम साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) में करीब दो वर्ष पहले सामने आए 100 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले में अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने औपचारिक रूप से अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जांच में खुलासा हुआ है कि श्रमिक संगठन इंटक के जिला अध्यक्ष खुशाल जायसवाल को 1.60 करोड़ रुपये और राजेश जायसवाल को 1.83 करोड़ रुपये की राशि कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मुआवजे के रूप में दिलाई गई।
कैसे हुआ घोटाला?
एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट दीपका खदान विस्तार के लिए वर्ष 2013 में मलगांव की जमीन अधिग्रहित करने की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन तब न तो गांव खाली कराया गया और न ही मुआवजा दिया गया।
साल 2023 में खदान विस्तार के दौरान जब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई, तभी मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ की गईं।
शिकायत से खुली परतें
जनवरी 2024 में आशीष कश्यप और लोकेश कुमार ने आरोप लगाया था कि लगभग 100 करोड़ रुपये के मुआवजा वितरण में भारी गड़बड़ी हुई है और पात्रता नियमों को दरकिनार करके रकम बांटी गई।
क्या कहता है कानून?
कोल बेयरिंग एक्ट (CBA) की धारा 9(1) के अनुसार, कम से कम पिछले पाँच वर्षों से प्रभावित गांव में निवास करने वाले परिवार ही मुआवजा पाने के पात्र होते हैं।
CBI की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपियों ने कई बार अलग-अलग आवेदन लगाकर संपत्ति का मुआवजा हासिल किया, जो नियमों का साफ उल्लंघन है।





