
रायगढ़ :- “थैलीसीमिया” – एक ऐसा शब्द जो न सिर्फ डॉक्टरों के लिए, बल्कि उन परिवारों के लिए भी एक चुनौती बन चुका है, जो इस आनुवंशिक रक्त विकार से जूझ रहे हैं। यह बीमारी रक्त में हीमोग्लोबिन के उत्पादन में कमी करती है, जिससे मरीज को नियमित रक्त चढ़ाने की जरूरत होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बीमारी का इलाज अब संभव है, और कई देशों में यह इलाज सफल भी हुआ है?
विशेषज्ञों के मुताबिक, हड्डी के मज्जा प्रत्यारोपण (Bone Marrow Transplant) थैलीसीमिया के इलाज में सबसे प्रभावी उपाय साबित हो रहा है। हालांकि, इस इलाज का खर्च और सफलता दर देश और अस्पताल के आधार पर भिन्न होती है।
वर्ल्डवाइड इलाज की सफलता:
दुनिया भर में थैलीसीमिया के इलाज के कई सफल उदाहरण सामने आए हैं। यूरोप और अमेरिका के कुछ प्रमुख अस्पतालों में इस इलाज की सफलता दर 85% से अधिक रही है। सिंगापुर, दुबई और भारत जैसे देशों में भी हड्डी के मज्जा प्रत्यारोपण से कई मरीजों को पूरी तरह से इस बीमारी से छुटकारा मिला है।
भारत में इस इलाज की सफलता दर लगभग 75% है, जबकि अधिक विकसित देशों में यह आंकड़ा 90% तक पहुंच सकता है। हालांकि, मरीज की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य कारकों के आधार पर सफलता दर में अंतर हो सकता है।
इलाज का खर्च:
जहां एक ओर इस इलाज की सफलता के बारे में सुनकर उम्मीदें जगती हैं, वहीं दूसरी ओर इसकी कीमत कई परिवारों के लिए एक बड़ा सवाल बन जाती है। भारत में हड्डी के मज्जा प्रत्यारोपण का खर्च लगभग 15 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक हो सकता है, जो अस्पताल और उपचार की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। हालांकि, सरकारी अस्पतालों और कुछ NGOs द्वारा वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है, जिससे यह इलाज कुछ हद तक किफायती हो सकता है।
दूसरी तरफ, यूरोप और अमेरिका में इस उपचार का खर्च लगभग 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इस इलाज में कई प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाएं और देखभाल शामिल होती हैं, जिससे इसका खर्च काफी बढ़ जाता है।
भारत में क्या विकल्प हैं?
भारत में निजी और सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी का इलाज संभव है। AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) और एम्स दिल्ली जैसे संस्थान हड्डी के मज्जा प्रत्यारोपण की सुविधा देते हैं, जो मरीजों को कम खर्च में उपचार उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा, संगठनों और दान से संबंधित फाउंडेशन्स भी थैलीसीमिया के इलाज में मदद करती हैं।
समाज और सरकारी मदद:
सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन (NGOs) इस बीमारी के इलाज के लिए अभियान चला रहे हैं, और कई मरीजों को इलाज के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ने राष्ट्रीय थैलीसीमिया नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जो इस बीमारी के इलाज और रोकथाम के लिए काम कर रहा है।
क्या है समाधान?
थैलीसीमिया के इलाज के लिए हड्डी के मज्जा प्रत्यारोपण सबसे प्रभावी उपाय है, लेकिन इसके खर्च और उपलब्धता को लेकर कई चुनौतियाँ हैं। अगर यह इलाज उपलब्ध हो, तो मरीज को पूरी तरह से इस बीमारी से मुक्त किया जा सकता है, लेकिन यदि इलाज न किया जाए, तो मरीज को जीवनभर रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है, जो स्वास्थ्य पर लंबे समय तक असर डाल सकता है।
थैलीसीमिया एक गंभीर आनुवंशिक बीमारी है, लेकिन इसके इलाज में उम्मीद की किरण अब और भी मजबूत हो चुकी है। हालांकि, इलाज की लागत एक बड़ी चुनौती हो सकती है, लेकिन समाज, सरकारी संस्थाओं और विभिन्न अस्पतालों के सहयोग से इसे काबू पाया जा सकता है। यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हम इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाएं और इलाज के लिए सही दिशा में कदम उठाएं।