
रायगढ़ :- गर्मियों में निगम की दुकान या फुटकर ठेला वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जब नगर निगम ने उन्हें छांव के लिए लगाए गए छज्जे और टाट्रा हटाने पहुंचे निगम के अधिकारी। वहीं, नाले पर हुए अवैध कब्जे पर निगम का रवैया पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है। यह स्थिति सवाल खड़े कर रही है, क्या निगम की कार्यवाही सिर्फ निगम की दुकान व फुटकर व्यापारियों तक सीमित है या कुछ और ही वजह है इसके पीछे?
गर्मी के मौसम में जब लोग धूप से बचने के लिए कोई भी उपाय अपनाने की कोशिश कर रहे होते हैं, निगम की दुकान व फुटकर ठेला वाले अपनी दुकानों के ऊपर छांव के लिए छज्जा या टाट्रा लगाते हैं। लेकिन, नगर निगम ने हाल ही में ऐसी दुकानों पर सख्त कार्रवाई की है। व्यापारियों का कहना है कि उन्हें रोजी-रोटी चलाने के लिए कुछ राहत की आवश्यकता थी, और उन्होंने छांव के लिए जो उपाय अपनाए थे, वह सिर्फ गर्मी, धूल, बरसात से बचने के लिए थे।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि निगम की यह कार्रवाई उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रही है, जबकि दूसरी ओर नगर निगम नाले पर हुए अवैध कब्जों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। शहर के कई हिस्सों में लोग नालों पर अतिक्रमण कर चुके हैं, लेकिन नगर निगम इस पर पूरी तरह से चुप है। यह स्थिति नागरिकों के बीच असंतोष पैदा कर रही है, क्योंकि नाले पर कब्जा करने से जलभराव की समस्या बढ़ रही है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।
“नाले पर कब्जा कर बॉस और पाल लगा कर ख़ज्बा करना न केवल अवैध है, बल्कि यह सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक है। नगर निगम को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो।”
इस स्थिति ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या नगर निगम की कार्यवाही सिर्फ निगम की दुकान व फुटकर व्यापारियों तक ही सीमित है? क्यों नाले पर हुए कब्जे के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं? क्या यह निगम की कार्यवाही है या फिर कुछ और?
निगम ने इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों से जानकारी मिली है कि निगम ने निगम की दुकान व फुटकर व्यापारियों पर कार्यवाही किया गया है ताकि सड़क बनाया जा सके सार्वजनिक स्थल पर अव्यवस्था और असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न न हो। वहीं, नाले पर कब्जे को लेकर नगर निगम का कहना है कि वे जल्द ही इस मुद्दे पर विचार करेंगे।
नगर निगम की यह कार्यवाही नागरिकों के बीच सवाल खड़े कर रही है। क्या निगम को सिर्फ निगम की दुकान व फुटकर व्यापारियों की परेशानी पर ध्यान देना चाहिए, या फिर व्यापक रूप से सार्वजनिक समस्याओं को प्राथमिकता देनी चाहिए? यह सवाल अब सभी के जेहन में है।





