
आंदोलन ने हत्या को माफिया-राजनीतिक गठजोड़ का परिणाम बताया, पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग उठाई
रायपुर। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) ने बस्तर के युवा और जनपक्षधर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए इसे राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का नतीजा बताया है। आंदोलन ने बीजापुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) और कलेक्टर को निलंबित करने और इस हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
जन पत्रकारिता पर हमला: सीबीए
सीबीए और उससे जुड़े 20 से अधिक घटक संगठनों ने बयान जारी कर कहा कि मुकेश चंद्राकर की हत्या जन पत्रकारिता पर हमला है। उन्होंने कहा कि मुकेश ने बस्तर में माओवाद विरोधी अभियानों की आड़ में फर्जी गिरफ्तारी, फर्जी मुठभेड़, आदिवासी मानवाधिकारों के उल्लंघन और प्रदेश की प्राकृतिक संपदा के कॉरपोरेट सौदों से जुड़े मामलों को उजागर किया था।
सड़क निर्माण घोटाले से जुड़ा था मामला
सीबीए ने कहा कि हत्या से पहले मुकेश ने गंगालूर-मिरतुल सड़क निर्माण की घटिया गुणवत्ता पर रिपोर्टिंग की थी। अरबों रुपये की इस परियोजना में भ्रष्टाचार उजागर होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। संगठन ने आरोप लगाया कि इस परियोजना से जुड़े लोग सत्ता में बैठे नेताओं और प्रशासन से जुड़े हैं।
राजनीतिक गठजोड़ का आरोप
बयान में कहा गया कि हत्याकांड में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनके कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेताओं से करीबी संबंध हैं। संगठन ने दावा किया कि ये लोग राजनीतिक गमछे बदलकर अवैध गतिविधियों से मुनाफा कमा रहे हैं। आंदोलन ने मांग की कि सीबीआई जांच के जरिए पूरे माफिया गठजोड़ और उनके आकाओं को बेनकाब किया जाए।
पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग
सीबीए ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून नहीं होने के कारण पत्रकार लगातार हमलों का शिकार हो रहे हैं। संगठन ने कांग्रेस और भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून बनाने में रुचि नहीं दिखाई। बयान में कहा गया कि हाल ही में बस्तर में पत्रकार बाप्पी राय सहित कुछ पत्रकारों पर फर्जी मामलों में गिरफ्तारी हुई थी, जिससे साफ होता है कि स्वतंत्र पत्रकारों को डराने-धमकाने का सिलसिला जारी है।
लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने मुकेश चंद्राकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की। संगठन ने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ और राज्य में लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर संघर्ष में वे सहभागी बने रहेंगे।
यह बयान छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की ओर से जारी किया गया, जिसमें प्रमुख रूप से आलोक शुक्ला, संजय पराते, मनीष कुंजाम, सुदेश टेकाम, रमाकांत बंजारे, कलादास डहरिया, विजय भाई, उमेश्वर सिंह अर्मो, शालिनी गेरा, केशव सोरी, जैकब कुजूर, एस आर नेताम, दीपक साहू, डी एस माल्या सहित विभिन्न सामाजिक और जनसंगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।