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लंबे समय से ताले में कैद है लाखों की लागत से बने तीन पंचायतों के सामुदायिक शौचालय

सूरजपुर – सूरजपुर जिले के जनपद पंचायत भैयाथान के बांसापारा, डबरीपारा, गंगोटी में सामुदायिक शौचालय का ताला हमेशा बंद रहता है। जिसके कारण ग्रामीण खुले में शौच के लिए विवश रहते है। सूचना के अनुसार सभी ग्राम पंचायतों का सामुदायिक शौचालय विगत 2 साल पूर्व बनकर तैयार हो गया था लेकिन समुचित संसाधनों के अभाव में आज तक शौचालय का ताला नहीं खुल सका है जिसके कारण विवस होकर ग्रामीण शौच के लिए बाहर का रास्ता अख्तियार करते हैं।ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय निर्माण के बाद न तो यहां कोई सफाई कर्मी रहता है और न ही इसका देखरेख करने वाला कोई है। जब से इसका निर्माण हुआ है तभी से इसका ताला बंद रहता है।

तीनों ग्राम पंचायतों में निर्माण के बाद लावारिस हाल में सामुदायिक शौचालय
सामुदायिक शौचालयों में ताला लटक रहे है। ग्राम पंचायतों द्वारा सामुदायिक शौचालयों का संचालन करने कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसको लेकर सरपंच-सचिव ये तर्क दे रहे हैं कि गांव में पहले से ही सभी घरों में शौचालय बन चुके हैं। ऐसे में पंचायतों ने निर्माण होने के बाद इन्हें लावारिश हाल में छोड़ दिया है। सरकार के लाखों-करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी लोगों को फायदा नहीं मिल पा रहा है।

शौचालय के संचालन का फंसा है पेंच
पूरे मामले में सामुदायिक शौचालय के निर्माण होने के बाद संचालन का पेंच फंसा हुआ है। संचालन के लिए किसी तरह का फंड नहीं मिलने वाला है। पंचायत को ही स्वीपर से लेकर सफाई कर्मी और देखरेख का भार आएगा। स्वच्छता समिति, महिला समूह या कर्मचारी नियुक्त करना पड़ेगा जिसको हर माह वेतन देना होगा। पंचायत इसको लेकर हाथ खींच रही है।

निर्माण कार्य भी गुणवत्ताहीन
तीन से चार लाख रुपए लागत होने के बावजूद तीनों पंचायतों का शौचालय का निर्माण मानकों को ताक पर रखकर किया गया है जिससे उपयोग शुरू होने से पहले ही जर्जर होने की स्थिति में पहुंच गए हैं।

गौरतलब है कि बासापारा में निर्मित सामुदायिक शौचालय के आसपास कोई सूचना पटल तक नहीं लगाया गया है जिससे कि निर्माण कार्य की पूरी जानकारी मिल सके l और तो और सेप्टिक टैंक का का कार्य भी अधूरा पड़ा है l
ऐसे में देखा जाए तो जनसुविधाओं के साथ निर्माण एजेंसियों के द्वारा सीधा सीधा खिलवाड़ किया गया है l भैयाथान जनपद के सभी पंचायतों में जहां जहां सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया यदि उन सभी का भौतिक सत्यापन कराया गया तो निःसंदेश बड़े भ्रष्टाचार निकलकर सामने आने की संभावना है l अब देखना यह कि विभागीय अधिकारी इस पूरे मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं l

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