SECL DGPS Survey ने तेज की दुर्गापुर खदान विकास की राह — अधिग्रहित क्षेत्र में अंतिम चरण का तकनीकी सर्वे शुरू

प्रतीक मल्लिक ✍️
अधिग्रहित क्षेत्र में SECL DGPS Survey की औपचारिक शुरुआत
दनंजयगढ़ क्षेत्र में SECL DGPS Survey प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। दुर्गापुर खुली खदान के लिए फरवरी 2016 में प्राप्त हुए अधिकारों के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर अधिग्रहित भूमि (Aadhigrahit Bhoomi) पर तकनीकी सर्वे संचालित हो रहा है। यह सर्वे भावी खनन कार्यों का आधार निर्धारित करेगा।
तकनीकी सटीकता के लिए DGPS का उपयोग
SECL DGPS Survey खदानों में सटीक सीमांकन, भू-संदर्भन और नक्शा निर्माण के लिए महत्वपूर्ण तकनीक है। यह तकनीक जटिल भूभाग, वन क्षेत्र और ऊबड़-खाबड़ सतह में भी खनन प्रबंधन को सटीक स्थलाकृति उपलब्ध कराती है।
इससे Durgapur Khadan के लिए जोखिम विश्लेषण, पर्यावरणीय मूल्यांकन और आगे की खनन योजना वैज्ञानिक ढंग से सुनिश्चित की जा सकेगी।
1677 हेक्टेयर भूमि पर ड्रोन आधारित विस्तृत मापांकन
SECL DGPS Survey के तहत कुल 1677 हेक्टेयर क्षेत्र पर 10 प्रमुख संदर्भ बिंदु तय किए गए हैं। इन प्वाइंटों के आधार पर ड्रोन उड़ान संचालित की जा रही है।
ड्रोन से प्राप्त मानचित्र के अनुसार कंपनी प्रबंधन इस क्षेत्र की परिसंपत्तियों की गणना और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा। यह रिपोर्ट आगे के प्रशासनिक और कानूनी अनुमोदनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
खनन से पहले आवश्यक वैधानिक प्रक्रियाओं में तेजी आएगी
इस SECL DGPS Survey के पूरा होते ही कंपनी प्रबंधन और राज्य प्रशासन की संयुक्त टीम धारा-23 के अंतर्गत परिसंपत्ति गणना, धारा-24 के अनुपालन, धारा-28 में उत्खनन स्वीकृति और धारा-30 में पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन की प्रक्रिया शुरू करेगी।
यह सर्वे Durgapur Khadan को संचालन योग्य बनाने का अंतिम तकनीकी चरण माना जा रहा है।
CMPDI Team की निगरानी—किसानों का सहयोग, बाहरी तत्व असहज
सर्वे कार्य में CMPDI Team और SECL के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्यरत हैं। प्रभावित क्षेत्र के किसान सर्वे प्रक्रिया में सहयोग कर रहे हैं, जबकि कुछ बाहरी व्यक्तियों—जो पूर्व में भारतमाला परियोजना से जुड़े थे—अपने व्यक्तिगत हित पूरे न होने पर असहज दिखे।





