छत्तीसगढ़

धान खरीदी आज से प्रारंभ, जिले में 50,660 किसानों ने कराया पंजीयन

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पारदर्शिता और तकनीकी सुधार के साथ किसानों को मिलेगी आर्थिक मजबूती

बलरामपुर  । जिले में धान की खेती का महत्व किसी से छिपा नहीं है। यहां किसानों के मुख्य आय मुख्य स्रोत धान की खेती है, जो राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। छत्तीसगढ़ की कृषि भूमि के एक बड़े हिस्से में धान का उत्पादन किया जाता है, जिससे राज्य देश के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। राज्य सरकार की ओर से किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने और उनके आर्थिक उत्थान के लिए धान खरीदी का कार्य नियमित रूप से किया जाता है। मुख्यमंत्री के मंशानुरूप, इस वर्ष भी धान खरीदी का कार्य 14 नवंबर से शुरू हो रहा है। इसके अंतर्गत राज्य भर के किसान अपना धान सरकार को समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिलेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।



व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता का प्रयास

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में धान खरीदी कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं। कलेक्टर श्री रिमिजियुस एक्का के मार्गदर्शन में जिले में धान खरीदी केन्द्रों मे आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। ताकि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इसके अतिरिक्त प्रत्येक धान खरीदी केन्द्र पर सतत् निरीक्षण के लिए नोडल अधिकारियों की ड्यूटी भी निर्धारित की गई है,

जिससे किसी भी प्रकार की समस्या का तुरंत समाधान किया जा सके। इस वर्ष जिले में कुल 49 धान उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं, जहां किसानों के लिए आवश्यक व्यवस्था पूरी की जा चुकी है। इन केन्द्रों पर इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे तौल की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और किसानों को अपने धान की सटीक तौल प्राप्त हो। इस तकनीकी सुधार से किसानों का विश्वास बढ़ेगा और धान खरीदी कार्य में तेजी और निष्पक्षता बनी रहेगी।



अवैध भंडारण और परिवहन पर प्रशासन की पैनी नजर

जिले में धान खरीदी अभियान के दौरान प्रशासनिक टीम द्वारा अवैध धान के भंडारण और परिवहन पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। कलेक्टर श्री एक्का के निर्देशानुसार, राजस्व, खाद्य, और सहकारिता विभाग की टीमें सक्रिय रूप से अवैध धान परिवहन और भंडारण पर कार्रवाई में जुटी हैं। अवैध धान की आवक को रोकने के लिए निगरानी दलों और नोडल अधिकारियों की टीम गठित की गई है। सीमावर्ती क्षेत्रों में चेक पोस्ट भी बनाए गए हैं, जिनका लगातार निरीक्षण किया जा रहा है।

02 लाख 85 हजार 505 मीट्रिक टन का रखा गया है लक्ष्य

धान खरीदी के इस विपणन वर्ष में कुल 50,660 किसानों से धान खरीदी की जाएगी, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 4,000 अधिक है। गत विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 2,58,589 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी, जबकि इस वर्ष 2,85,505 मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रशासन ने सभी आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर ली है। धान खरीदी का कार्य 31 जनवरी 2025 तक चलेगा, जिससे सभी किसानों को धान बेचने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा। इसके अतिरिक्त, धान खरीदी केंद्रों पर अनावश्यक भीड़ को नियंत्रित करने और प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए धान का उठाव भी साथ-साथ किया जाएगा। इसके लिए परिवहन और गोदामों की तैयारी भी की जा चुकी है, जिससे किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सके।



समर्थन मूल्य से किसानों को मिलेगी आर्थिक मजबूती

शासन द्वारा किसानों के लिए इस वर्ष का समर्थन मूल्य 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। जिससे किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलेगा। समर्थन मूल्य का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारना और उन्हें अपने कृषि उत्पाद का अधिकतम लाभ दिलाना है। सरकार का यह कदम किसानों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और उनके सशक्तिकरण के प्रति उसकी नीतियों को दर्शाता है।

लघु और सीमांत किसानों को मिलेगी प्राथमिकता

जिले के अधिकतर किसान लघु और सीमांत श्रेणी में आते हैं। जिले में कुल 50,644 किसान परिवार हैं, जिनमें से 85 प्रतिशत लघु और सीमांत किसान हैं। ऐसे किसान सीमित संसाधनों के साथ खेती करते हैं और उनके पास कृषि के लिए सीमित रकबा होता है। धान खरीदी योजना के माध्यम से इन किसानों को आर्थिक सुरक्षा और मजबूती मिलेगी, जिससे वे अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर पायेंगे।

साथ ही, धान खरीदी के साथ-साथ धान का उठाव होने से किसानों को किसी प्रकार की वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री के मंशानुरूप इस वर्ष भी धान खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी, तकनीकी और सुचारू बनाने का हर संभव प्रयास किया गया है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन के यह प्रयास किसानों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और राज्य की कृषि संपन्नता की ओर एक कदम है। इससे न केवल किसानों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि वे आर्थिक रूप से सशक्त भी होंगे।

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