फोर्स के रॉडार पर अब बड़े केडर के इनामी नक्सली । हालांकि इनकी पहचान फोर्स के लिए आसान नहीं होगी
फोर्स के जवान अब नक्सलियों के बड़े केडर वाले सीसी मेंबर और पोलित ब्यूरो सदस्यों को टारगेट करने की तैयारी कर रहे हैं।
यदि इनके खिलाफ ऑपरेशन सफल रहा तो नक्सलियों को काफी बड़ा नुकसान पहुंचेगा और उनकी बुनियाद हिल जायेगी इसमें संदेह नहीं
बस्तर पुलिस के सीनियर अधिकारियों का कहना हैं कि बीते 5 महीने में 128 नक्सली ढेर किए गए हैं।
इनमें कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं।
आम तौर पर नक्सल संगठन में पहले 20-22 सीसी मेंबर और पोलित ब्यूरो के सदस्य हुआ करते थे, लेकिन अब 14-15 ही एक्टिव बचे हैं।
जिनमें से 5-6 ही केवल बस्तर में सक्रिय हैं।
बस्तर में सक्रिय बड़े नक्सली नेता –
1 . माओवादी संगठन का सचिव बसव राजू (इनाम एक करोड़)
2 . पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू दादा उर्फ वेणुगोपाल (इनाम एक करोड़)
3 . पूर्व पोलित ब्यूरो जोगन्ना (इनाम 70 लाख)
4 . बस्तर में सक्रिय दुर्दांत नक्सली हिड़मा (इनाम 67 लाख)
सीसी मेंबर देवेंदर रेड्डी (इनाम 80 लाख)
दरअसल बीते कुछ समय में रमन्ना, आरके, दीपक तेलतुंडे, हरिभूषण, कड़कम सुदर्शन आदि में कुछ की मुठभेड़ और कुछ की बीमारी से मौत हो गई।
इसके अलावा कुछ की उम्र अधिक हो जाने की वजह से उनकी सक्रियता कम दिखाई दे रही है।
सुरक्षा बलों ने
माओवादियों की सप्लाई लाइन तोड़ने और आए दिन उनकी घेरेबंदी फोर्स द्वारा की जा रही है।
उनके मूवमेंट वाले कॉरीडोर एरिया को सुरक्षा बलों के व्दारा खंडित किया जा रहा है। ऐसे में माओवादियों की रहनुमाई करने वाले बड़े नेताओं की घेरेबंदी के लिए यह समय माकूल लग रहा है।
जानकार भी यह मान रहे
हैं कि जिस तरह से फोर्स ऑपरेशन कर रही है, उसकी वजह से नक्सली दबाव में हैं। ऐसे में यह अनुकूल समय हो सकता है। केडर नक्सलियों पर बड़े हमले की योजना पुलिस की दूर की कौड़ी है। यदि इनमें से 2-3 भी मारे जाते हैं तो बस्तर के बड़े इलाके में सक्रिय रुप से नक्सल संगठन के लिए काम कर रहे मैदानी स्तर के लड़ाके एक तरह से स्लीपर सेल बन जाएंगे।
आदेश के अभाव में इनके लिए कोई निर्णय लेना आसान नहीं रह जाएगा।
हालांकि यह बहुत आसान नहीं रहने वाला, क्योंकि फोर्स के सामने सबसे बड़ी समस्या होगी बड़े नक्सली नेताओं की पहचान। साथ ही ये चार से पांच लेयर की सुरक्षा में रहने के कारण हमला होने पर आसानी से भाग निकलने में प्रायः सफल रहते हैं । इसके अलावा
इनकी तात्कालिक तस्वीरें तक पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है।
छद्म वेश में लड़ाई लड़ने वाले इन बड़े नेताओं की पहचान आसान नहीं। ऐसे में पुलिस की कार्रवाई सीधे तौर पर प्रभावित होती है।