राजधानी में पत्रकारों का महाकुंभ: पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग के साथ हजारों पत्रकारों ने दी सरकार को चेतावनी….
रायपुर में 35 से अधिक संगठनों की एकजुटता , महासम्मेलन में पीड़ित पत्रकारों ने साझा की अपनी आपबीती….
हजारों पत्रकारों ने रैली निकालकर राजभवन और मुख्यमंत्री आवास पहुँचकर सौंपा ज्ञापन…
रायपुर:- गांधी जयंती के अवसर पर रायपुर के गॉस मेमोरियल ग्राउंड में आयोजित “पत्रकार संकल्प महासभा” में प्रदेश के 35 से अधिक पत्रकार संगठनों की एकजुटता देखने को मिली। इस महासम्मेलन में हजारों पत्रकारों ने भाग लिया, जिसमें पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने और पत्रकारों के हितों की रक्षा करने जैसी प्रमुख मांगें उठाई गईं। पीड़ित पत्रकारों ने अपनी आपबीती साझा करते हुए, भ्रष्टाचार और माफियाओं के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर झूठे मामलों में फंसाए जाने और धमकियों का सामना करने का दर्द बयां किया।
पत्रकारों पर बढ़ते हमले और सुरक्षा कानून की मांग….
प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर हो रहे हमले, पुलिस और माफियाओं की मिलीभगत के चलते पत्रकारों का उत्पीड़न चरम पर है। इस महासभा में वक्ताओं ने अधिकारियों और माफियाओं के खिलाफ सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों पर हो रहे हमलों और उनकी सुरक्षा की अनदेखी पर सरकार की कड़ी आलोचना की। पत्रकारों ने बताया कि कैसे उन्हें झूठे आरोपों में फंसाकर जेल भेजने की साजिशें रची जा रही हैं। पिछले हफ्ते कोंटा और कांकेर के पत्रकारों को बेवजह फंसाने की घटनाएं इसका ताजा उदाहरण हैं।
पत्रकार संकल्प महासभा में मौजूद वरिष्ठ पत्रकारों ने मंच से कहा कि प्रदेश की किसी भी सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। मंच पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज ने प्रदेश के मूर्धन्य पत्रकारों का स्मरण किया और मौजूदा हालात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाते हैं, लेकिन आज सबसे ज्यादा असुरक्षित भी यही वर्ग है।”
महासभा में पीड़ित पत्रकारों की आवाज…
पत्रकार सुरक्षा आंदोलन के अग्रणी नेता कमल शुक्ला ने पीड़ित पत्रकारों के अनुभव साझा करवाए। इस दौरान अंबिकापुर के पत्रकार जितेंद्र जायसवाल और कोंटा के बप्पी रॉय सहित अन्य पीड़ित पत्रकारों ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने पर साजिशन फंसाया गया और उन्हें जेल तक जाना पड़ा। सभा में यह भी बताया गया कि कांकेर के एक पत्रकार को स्थानीय सांसद से जुड़ी खबर प्रकाशित करने पर पुलिस और एनआईए द्वारा झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की गई। पीड़ित पत्रकारों ने एक स्वर में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की पुरजोर मांग की।
राजभवन और मुख्यमंत्री आवास तक रैली….
महासभा के बाद पत्रकारों ने रैली निकाली और राजभवन पहुँचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इसके बाद पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री आवास पहुंचा और जनसंपर्क मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए पत्रकारों की सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा करने की अपील की। पत्रकारों ने मांग की कि सरकार तुरंत पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करे और पत्रकारों को विभिन्न सरकारी सुविधाएं प्रदान की जाएं।
महासभा में पारित किए गए प्रस्ताव….
महासभा में पत्रकारों के हित में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें ग्रामीण पत्रकारों को वेतन देने, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, बच्चों की शिक्षा में रियायत देने और छोटे पत्र-पत्रिकाओं को नियमित विज्ञापन देने की व्यवस्था शामिल है। इन प्रस्तावों के जरिए पत्रकारों के पेशेवर जीवन में सुधार लाने के लिए कदम उठाने पर जोर दिया गया।
पत्रकारों की एकजुटता और आगे की राह…..
छत्तीसगढ़ में यह पहला अवसर था जब इतने बड़े पैमाने पर पत्रकार एक मंच पर एकत्रित हुए और बिना किसी नेता या अधिकारी का सम्मान किए, अपने मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किया। यह आयोजन पत्रकारों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें उन्होंने सरकार को अपनी एकजुटता और सुरक्षा के प्रति संजीदा कदम उठाने की चेतावनी दी। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार पत्रकारों की इस न्यायोचित मांग पर क्या कदम उठाती है और पत्रकार सुरक्षा कानून कब लागू होता है।
इस अवसर पर रायपुर सहित संपूर्ण छत्तीसगढ़ के पत्रकार शामिल हुए जिसमें प्रमुख रूप से सुधीर आज़ाद तंबोली, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ (IJU) प्रदेश अध्यक्ष पी सी रथ, महासचिव विरेंद्र कुमार शर्मा, कमल शुक्ला, व्यास पाठक, प्रेस एंड मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन से मनोज पांडे, कार्यकरी अध्यक्ष जितेन्द्र जायसवाल, शिवशंकर सोनपीपरे, अजीत शर्मा (PCWJ) छत्तीसगढ़िया पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र रथ वर्मा, अमित गौतम, सुनिल यादव, सेवक दास दीवान, अमिताभ पॉल, गोविंद शर्मा, राज गोस्वामी, आनंद राम पत्रकारश्री, महेश प्रशाद, आसिफ इक़बाल, बी डी निजामी, अशोक तोमर, विरेंद्र कुमार शर्मा, शकील लाला दानी, महेश आचार्य, तिलका साहू, दिनेश नामदेव, दिनेश सोनी, राहुल गोस्वामी, प्रवीण खरे, हरिमोहन तिवारी, गुलाब दीवान, ललित यादव, आदित्य गुप्ता, चोवाराम वर्मा, मो शरीफ खान, उचित शर्मा, रेणु नंदी, पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष के के शर्मा तथा प्रकाश शर्मा, रायगढ़ जिले से खबर उजागर के प्रधान संपादक मनीष सिंह , सह- संपादक कैलाश आचार्य, ऋतिक श्रीवास , सुशील सिंह , अंकेश यादव , प्रशांत ठाकुर (तह तक), तथा रायगढ़ की वरिष्ठ पत्रकार नितिन सिन्हा, राजा खान, दीपक सोभवानी, आदि शामिल हुए। महासम्मेलन को लिखित, मौखिक समर्थन देने शामिल होने वाले संस्थाओं में दक्षिण बस्तर पत्रकार संघ, जीपीएम प्रेस क्लब, रायपुर प्रेस क्लब, बेमेतरा, मुंगेली प्रेस क्लब, कोंडागांव प्रेस क्लब, महासमुंद प्रेस क्लब, कुम्हारी प्रेस क्लब, दुर्ग प्रेस क्लब, कांकेर जिला पत्रकार संघ, जगदलपुर बस्तर जिला पत्रकार संघ, पत्रकार संघ, छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार कल्याण संघ एवं अन्य कई संस्थाएं शामिल थीं। कार्यक्रम की योजना बना कर परस्पर सहभागिता तथा योगदान से कार्यक्रम को आयोजित करने वाले अग्रगामी संगठन इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट्स, छत्तीसगढ श्रमजीवी पत्रकार संघ (पंजीयन क्रमांक 617), पत्रकार कल्याण महासंघ, पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन रायपुर, छत्तीसगढ जर्नलिस्ट यूनियन, छत्तीसगढ सक्रीय पत्रकार संघ, छत्तीसगढ प्रेस वेलफेयर एसोसिएशन, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति, प्रेस क्लब ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट (PCWJ), आदर्श पत्रकार संघ, सद्भावना पत्रकार संघ, छत्तीसगढ़ प्रेस क्लब, छत्तीसगढ़िया पत्रकार महासंघ, भारतीय पत्रकार संघ, द जर्नलिस्ट एसोसिएशन, मीडिया पत्रकार मंच, आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन, प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन, अखिल भारतीय पत्रकार एवं संपादक एसोसिएशन, पत्रकार प्रेस महासंघ, प्रदेश पत्रकार यूनियन, छत्तीसगढ़ मीडिया एसोसिएशन, राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा, पत्रकार जनकल्याण समिति शामिल थे। कुछ अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि 2 अक्टूबर को कार्यक्रम स्थल पर आ कर समर्थन व्यक्त करते देखे गए।