जिला सीईओ केपी तेंदुलकर की मनमर्जी, आवेदक विवश होकर पहुंचा न्यायालय, जिला प्रशासन की छवि को धूमिल करने में नही दिखा रहे कोई कसर

जिला सीईओ केपी तेंदुलकर की मनमर्जी, आवेदक विवश होकर पहुंचा न्यायालय, जिला प्रशासन की छवि को धूमिल करने में नही दिखा रहे कोई कसर
गौरेला : पंचायत में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर उतर आया है, जिसके संरक्षणकर्ता केपी तेंदुलकर है सूत्रों के अनुसार आवेदक द्वारा केपी तेंदुलकर जिला सीईओ को भ्रस्ताचारियो के विरुद्ध आवेदन पत्र दे देकर विवश हो चुका है साथ ही मौखिक तौर पर भी निवेदन कर पेराशन हो चुका है, इनकी तनासही एवं मनमर्जी से तंग आकर आवेदक ने न्यायालय का रास्ता चुना,
पंचायत सिर्फ और सिर्फ कमीशन खोरी और वसूली का अड्डा बन चुका है, ढेरो शिकायत होने पर भी मूक दर्शक बन देखते रहते हैं, जिसे सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने कहना गलत नहीं है, केंद्र सरकार की योजना मनरेगा में दोसी लोगो की आज दिनांक तक कोई वसूली नही होना ना ही मजदूरी को उनकी मजदूरी दिलवाना, जिसकी संपूर्ण जिमेदारी केपी तेंदुलकर की है,
जिला सीईओ केपी तेंदुलकर की हरकतों को देखकर लगता है कि इनके द्वारा अपने जनपद सीईओ को सिर्फ वसूली कर संरक्षण देने का मौखिक आदेश दिया गया है, देखना दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन द्वारा इस संरक्षणकर्ता जिला सीईओ केपी तेंदुलकर के किलाफ क्या करती हैं