रायगढ़

चक्रधर समारोह 2025 : लोक और शास्त्रीय कलाओं के संगम से गूंजा रायगढ़

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रायगढ़, 2 सितम्बर 2025 । सुर, ताल, छंद और घुंघरुओं की अनूठी जुगलबंदी के साथ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के सातवें दिन रामलीला मैदान कला और संस्कृति के रंगों से सराबोर रहा। मंच पर जहां छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं की झलक ने दर्शकों को अपनेपन से भर दिया, वहीं शास्त्रीय संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों ने समारोह को अविस्मरणीय बना दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने महाराजा चक्रधर सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रतिभागी कलाकारों को शाल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया।

लोक परंपरा और संस्कृति का जीवंत मंचन

छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोकगायिका छाया चंद्राकर ने अपनी सुरीली आवाज़ और लोकगीतों की श्रृंखला से पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध कर दिया। गणेश वंदना से आरंभ हुई प्रस्तुति में छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित गीत और भोजली, हरेली, राउत नाचा, सुआ नृत्य, पंथी, छेरछेरा व जंवारा विसर्जन जैसे लोकधुनों ने दर्शकों को गहराई तक छू लिया।

कथक की मनमोहक प्रस्तुतियाँ

कोरबा की 12 वर्षीय इशिता कश्यप ने शिव वंदना और रायगढ़ घराने के बोलों पर आधारित तराना व 150 चक्कर की प्रस्तुति देकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।

बिलासपुर की काजल कौशिक ने ठाठ, परण, ठुमरी और काली स्तुति की भावपूर्ण अभिव्यक्ति से सभागार को आत्मविभोर कर दिया।

कवर्धा के युवा कलाकार सचिन कुम्हरे ने अपनी संपूर्ण प्रस्तुति महाराजा चक्रधर सिंह को समर्पित करते हुए ताल त्रिताल और अष्टनायिकाओं पर आधारित ठुमरी से खास समा बाँधा।

वादन और नृत्य की लयकारी

रायगढ़ के तबला वादक दीपक दास महंत ने कायदा, रेला और गत की शानदार प्रस्तुतियों से पंडाल को तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा दिया।

गोवा के उस्ताद छोटे रहमत खान ने सितार की मधुर लहरियों से सुरों का ऐसा संसार रचा कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।

चेन्नई की कलाक्षेत्र फाउंडेशन की टीम ने भरतनाट्यम की आलारिप्पु, तिल्लाना और पारंपरिक नृत्य रचनाओं से भारतीय शास्त्रीय नृत्य की भव्यता दर्शाई।

साहित्य का संगम

कार्यक्रम के दौरान सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने शिक्षिका एवं कवयित्री लिशा पटेल की पुस्तक ‘दिव्य धरोहर’ का विमोचन किया। हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषा में रचित यह संकलन कविता, गीत, ग़ज़ल, नवगीत, आलेख और कहानियों से सुसज्जित है।

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