वन विभाग को अपनी उंगलियों पर नचाने वाला वायरलेस ऑपरेटर पुरुषोत्तम कश्यप डीएफओ का स्टेनो बनकर बना हुआ है धन कुबेर

आलीशान मकान सहितकरोड़ों की संपत्ति की अर्जित
मामले की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो में ,,कभी भी हो सकती है कार्यवाही
एशिया का ग्रीन बेल्ट कहे जाने वाले मरवाही वन मंडल में पदस्थ वायरलेस ऑपरेटर वर्षों से डीएफओ का स्टेनो बनकर मरवाही वन मंडल को संचालित कर रहा है। वायरलेस ऑपरेटर के मूल पद पर पदस्थ पुरुषोत्तम कश्यप नाम का यह कर्मचारी अब रसूखदार लोगों की श्रेणी में माना जाता है तथा डीएफओ के स्टेनो रहते हुए इसने बीते सालों में करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है जिसमें गौरेला के बांधामूंड़ा का आलीशान मकान शामिल है जो पुरुषोत्तम कश्यप के काली कमाई का जीता जागता सबूत है।
स्टेनो बनकर मरवाही वनमंडल को अपने उंगलियों में संचालित करने वाले पुरुषोत्तम कश्यप मरवाही वन मंडल की ऐसी हस्ती है जिसके इशारे पर सत्ता पक्ष के बड़े-बड़े नेता , ठेकेदार, तथा वन विभाग के एसडीओ और रेंजर स्तरर के अधिकारी नाचते हैं। किस नेता को कितना चंदा देना है कितना नहीं ! वन मंडल के अंतर्गत चलने वाले निर्माण कार्य, मुनारा निर्माण जैसे कार्य कि ठेकेदार को देना है किस नहीं यह सब भी पुरुषोत्तम कश्यप ही तय करता है।
कर्मचारी अधिकारी जानते हैं कि जब यह सब पुरुषोत्तम कश्यप ही तय करता है तो उसे दब कर ही रहना पड़ेगा। वन मंडल के अंदर कौन रेंजर कहां पदस्थित रहेगा कि डिप्टी रेंजर को कहां प्रभार दिया जाना है वनरक्षक बीट गार्ड से लेकर चौकीदार स्तर तक के कर्मचारियों की तैनाती वन मंडल अधिकारी के स्टेनो के पद पर वर्षों से जमीन पुरुषोत्तम कश्यप के मनमर्जी से ही होती है यही कारण है कि वन विभाग के कर्मचारी इससे बेहद डरे हुए और दबे हुए रहते हैं। डीएफओ कोई भी हो मरवाही वन मंडल का एक पत्ता भी पुरुषोत्तम कश्यप के बगैर नहीं हिल सकता।
अभी कुछ समय से मरवाही वन मंडल का यह कर्मचारी अपने द्वारा अर्जित की गई अकूत संपत्तियां एवं आलीशान मकान के लिए चर्चा में है जिसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो से की गई है इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने क्या कार्यवाही की यह तो पता नहीं परंतु आम जनमानस में यह सवाल जरूर है कि सामान्य पदपर पदस्थ कर्मचारी जिनकी सरकारी सैलरी 3: 50 लाख वार्षिक से ज़्यादा नहीं, उनके पास करोड़ों की ज़मीन-जायदाद और आलीशान बंगले कहां से आया।??




