छत्तीसगढ़

घाघरा रेलवे स्टेशन में बारंगक्षितिलिपि में लिखा नाम पट्टिका हटाने का विरोध ,

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आदिवासी हो समाज महासभा ने निकाली आक्रोश रैली
स्टेशनों का नाम हिंदी अंग्रेजी और हो भाषा बारंग क्षितिलिपि में लिखने और उद्घोषणा कराने की मांग

चक्रधरपुर ।  चक्रधरपुर रेल मंडल के हो बहुल अंचल घाघरा रेलवे स्टेशन के नाम पट्टिका में बारंगक्षितिलिपि में लिखा नाम हो हटाकर अन्य भाषा में लिख दिए जाने के विरोध में गुरुवार को आदिवासी हो समाज महासभा केंद्रीय कमेटी के नेतृत्व में मानकी मुंडा संघ सहित अन्य कई आदिवासी संगठनों के लोगों ने एक आक्रोश रैली निकाली। आदिवासी हो समाज महासभा के केंद्रीय कमेटी के नेतृत्व में मनोहरपुर,चक्रधरपुर, गोईलकेरा, सोनुआ, चाईबासा इत्यादि अंचलों से लगभग छह सौ से ज्यादा लोग सर्वप्रथम मानकी मुंडा संघ चक्रधरपुर में इक्कठा होकर वहां से वे रेलवे क्षेत्र स्थित पोटका आदिवासी मित्रमंडल गए।

आदिवासी मित्रमंडल से वे एक आक्रोश रेैली निकाल कर चक्रधरपुर के डीआरएम कार्यालय तक गए। महासभा की रैली में शामिल सैकड़ों पुरुष व महिला आदिवासी हो भाषा पर अत्याचार नहीं सहेंगे, स्टेशनों के नाम पट्टिका हो भाषा बारंग क्षितिलिपि में लिखना होगा लिखना होगा आदि का नारा लगाते हुए डीआरएम कार्यालय पहुंचे। डीआरएम कार्यालय की सहमति से एक प्रतिनिधि मंडल चक्रधरपुर के डीआरएम तरुण हुरिया से मिले और घाघरा रेलवे स्टेशन के बारंग क्षितिलिपि में लिखा नाम पट्टिका रेलवे के द्वारा हटाए जाने की जानकारी दी गई।

डीआरएम ने इस घटना पर दु:ख प्रकट किया एवं दोषियों के खिलाफ कार्यवाई करने का आश्वासन दिया है। इस सबंध में प्रतिनिधि मंडल ने एक ज्ञापन डीआरएम को सौंपा जिसमें भारत सरकार के द्वारा 9 अप्रैल 2013 के आलोक घाघरा रेलवे स्टेशन पर हिंदी एवं अग्रेंजी के साथ साथ हो भाषा बांरग छितिलिपि में नामपटट् अंकित कराया गया था। किंतु विगत दिनों में उक्त हो भाषा नाम पट्ट को हटा दिया गया एवं उसे ओड़िया भाषा में अंकित कर दिया गया है।

रेलवे इस आदिवासी विरोधी मानसिकता को जल्द जल्द से दूर कर घाघरा रेलवे रलवे स्टेशन पर पूर्व में अंकित हो भाषा बारंगक्षितिलिपि मे लिखने, कोल्हान हो भाषा बहुल सभी रेलवे स्टेशनों का नामपट्टिका हिंदी, अंग्रेजी के साथ साथ हो भाषा बारंग क्षितिलिपि में लिखने की मांग की गई है। इसके अलावा कोल्हान के सभी स्टेशनों में ट्रेनों की आवागमन की सूचना की उद्धघोषणा हिंदी अग्रेजी भाषा के साथ साथ क्षेत्रिय हो भाषा में कराए जाने की माग की गई है।

रैली में ये हुए शामिल
इस रैली में मुख्य रुप से आदिवासी साहित्यकार डोबरो बुढ़ीउली, महासभा के प्रखंड अध्यक्ष पातर जोंको मनोहपुर, मुखिया अशोक बांदा, जोटो सुरीन, बागुन बोदरा, इंद्रजीत सामड, नितिमा जोंको,डा. दिनेश बोईपाय, मनोज चांपिया, नीमा लुगुन, प्रकाश होनहोगा, निसूजा चांपिया, मार्शल गुड़िया, मानकी मुंडा संघ चक्रधरपुर के मथुरा गागराई, दोराय हासदा, गणेश बोदरा, उदय चारु वा, मोटाय सिद्दू, रांघो कांडा, श्रीराम सामड आदि सैकड़ों लोग शामिल हुए।

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