एस आई आर पर छत्तीसगढ़ में मचा हड़कंप — पलायनशील और घुमंतू परिवारों के नाम कटने की आशंका, विपक्ष ने सरकार को घेरा

गरियाबंद- प्रदेश में मतदाता सूची के सत्यापन कार्य (SIR – स्पेशल समरी रिवीजन) की प्रक्रिया शुरू होते ही एक नई चिंता उभर कर सामने आई है। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर बीएलओ (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाता सूची का वेरिफिकेशन कर रहे हैं, लेकिन इस बीच बड़ी संख्या में पलायन करने वाले मजदूर, दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोग और घुमंतू परिवार इस प्रक्रिया से वंचित रह रहे हैं।

गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड में मिली जानकारी के अनुसार, बीएलओ को 18 नवंबर तक सभी वेरिफिकेशन फार्म भरकर संबंधित तहसील कार्यालय में जमा करना है। इतने कम समय में पूरे क्षेत्र के घर-घर पहुंचकर सत्यापन का कार्य पूरा करना कर्मचारियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। वहीं, ग्रामीण अंचलों में कई घर ऐसे हैं जिनके सदस्य रोज़गार की तलाश में उड़ीसा, महाराष्ट्र, तेलंगाना जैसे राज्यों में पलायन कर चुके हैं।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जिन लोगों की अनुपस्थिति में सत्यापन नहीं हो पाएगा, क्या उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे? बीएलओ और निर्वाचन विभाग के अधिकारी इस विषय में स्पष्ट दिशा-निर्देश का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वास्तविक मतदाताओं को सूची से वंचित न किया जाए।
घुमंतू और अस्थायी निवास करने वाले समुदायों की स्थिति और भी जटिल है। इनके पास स्थायी निवास का कोई ठोस प्रमाण नहीं होता, जिसके कारण वेरिफिकेशन फार्म भरने में कठिनाई आ रही है।
वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इतनी कम अवधि में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन का कार्य पूरा करना अव्यवहारिक है और इससे हजारों पात्र मतदाताओं के नाम सूची से कट सकते हैं। उन्होंने मांग की है कि वेरिफिकेशन की अवधि बढ़ाई जाए और प्रवासी व घुमंतू परिवारों के लिए विशेष प्रावधान किए जाएं।
वहीं कुछ समाज सेवियों और जानकारों की मानें तो सरकार जिस तरह बैंक खातों और पेन कार्ड को आधार से लिंक कराया है ठीक उसी प्रकार से वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक क्यों नहीं कराया जा रहा है इससे जो फर्जी वोटर हैं उसमें पुरी तरह से लगाम लग सकता है लेकिन आखिर सरकार और चुनाव आयोग वोटर आईडी कार्ड से आधार को क्यों लिंक नहीं कराना चाहती?
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन बनाने के लिए यह वेरिफिकेशन जरूरी है। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि वे हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर न रह जाए। अब आने वाले दिनों में देखना होगा कि क्या बिहार में एस आई आर के बाद जो स्थिति देखने को मिली थी वहीं क्या छत्तीसगढ़ में भी होगा?





