झारखंड

प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना डॉ अनु सिन्हा ने कहा कला ही ईश्वर की उपासना है

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श्री जगन्नाथ महाप्रभु सेवा समिति और फाउंडेशन फॉर कृष्णा कला एंड एजुकेशन सोसायटी नई दिल्ली की ओर से टाटा वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल कदमा में आयोजित कत्थक शिक्षा कार्यशाला में शामिल होकर छात्राओं को सिखाई कत्थक की बारीकियां

(Sanat Pradhan)

चक्रधरपुर। टाटा वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल कदमा की छात्राओं ने कत्थक शिक्षा कार्यशाला में भाग लेने के उपरांत अपनी नृत्य प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन किया। श्री जगन्नाथ महाप्रभु सेवा समिति और फाउंडेशन फॉर कृष्णा कला एंड एजुकेशन सोसायटी की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना तथा कलाकार अनु सिन्हा के मार्गदर्शन प्रदान किया। इस सांस्कृतिक पहल का उद्देश नई पीढ़ी में शास्त्रीय नृत्य के प्रति रुचि और समझ विकसित करना था। एनटीपीसी माइनिंग लिमिटेड रांची ने अपने (सीएसआर) कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत इस आयोजन को प्रयोजित किया।

जो उनके सांस्कृतिक संवर्धन और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कार्यशाला में छात्राओं को कथक नृत्य के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत शिक्षा दी गई। जिसमे ताल, भाव भंगिमा और नृत्य की बारीकियां शामिल थी। Ia कार्यशाला में विभिन्न तिथियों में भाग लेने वाले कलाकारों में गायक सनातन दीप, कथक कलाकार डा केया चंदा और तन्मय चक्रबर्ती, ओडिसी नृत्यांगना नंदिनी चौधरी मोहंती एवं पुरवाई जीआरपी, गायक नीलकंठ तिवारी, कथक तड़ित सरकार, गायक बापी राज और उनके बेटे सुभोदीप, कथक के साथ सौमी सेन बोस जीआरपी, कत्थक में ऋषिता रॉय एवं जीआरपी, कथक में तृषा भाटिया, गायक अनिल सिंह और रश्मि रानी, कत्थक मिताली वर्मा, भरतनाट्यम में उरबाही शाह और तबला बादक सनत सरकार शामिल है।

समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर इंटक के अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, विधायक मंगल कालिंदी, काउंसिल अध्यक्ष श्रीमती बारी मुर्मू, काउंसिल उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा, डी बी एम एस के संस्थापक श्रीमती भानुमति नीलकंठ, बोर्ड आफ ट्रस्टी एवं चेयरपर्सन बी चंद्रसेखर,पंडित चंद्रकांत आप्टे म्यूजिक फाउंडेशन के अध्यक्ष शक्ति प्रसाद तिवारी, संरक्षक राजकुमार सिंह ने भाग लिया। इस अवसर नृत्यांगना अनु सिन्हा ने कहा की नृत्य ईश्वर को उपासना है। जीवन मे संगीत और नृत्य बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने नई पीढ़ी को नृत्य के प्रति समर्पण भाव सृजन करने का आह्वान किया। कौन है कत्थक नृत्यांगना डॉ अनु सिन्हा? भारतीय संस्कृति धरोहर एवं कला के उत्थान और सरंक्षण के लिए समर्पित विश्व ख्याती प्राप्त प्रथम श्रेणी की कत्थक नृत्यांगना अनु सिन्हा का जन्म 23 नवंबर 1967 को उस समय के अविभाजित बिहार की स्टील सिटी जमशेदपुर में हुआ था।

उतर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में रहकर उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य कत्थक में नया आयाम स्थापित करते हुए बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। शास्त्रीय कत्थक नृत्य कला की विदुषी कहे जाने वाली जयपुर घराने की कत्थक नृत्यांगना डा. अनु सिन्हा प्रख्यात कत्थक गुरु पंडित राजेन्द्र गंगानी की शिष्या है । कला के प्रति निष्ठा समर्पण और विराट व्यक्तित्व का धनी अनु ने देश और विदेशों में हजारों सांस्कृतिक मंचों पर शास्त्रीय नृत्य कत्थक की प्रस्तुति देकर भारत की प्राचीन नृत्य कला के भाव सौंदर्य को चिरंजीवी बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

देश के प्रसिद्ध उत्सव त्योहारों पर आयोजित महोत्सवों पर अनु की प्रस्तुति दर्शकों में आनंद और उत्साह का संचार कर देता है। नृत्यांगना अनु ने नृत्य नाटिका मीरा( मेरे तोह गिरधर गोपाल) विष्णु दशावतार ,उर्वशी ,द्रौपदी, ध्रुवस्वामिनी एवं महाकवि जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य कामायनी जैसे नृत्य नाटिकाओं में मनोभावों ,स्वप्न ,आशा, दर्शन त्याग, चिंता,आनंद, काम ,संघर्ष ,ईर्ष्या, बुद्धि, श्रद्धा और रहस्य जैसे भावों की उम्दा प्रकटीकरण नृत्यांगना अनु की नृत्य मुद्राओं से जीवंत हो उठते है तथा दर्शक भाव विभोर हो जाते है।

देश के पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, हिंदी साहित्य महोत्सव , हिंदी अकादमी , राज स्तरीय विद्वान सम्मान समारोह आदि साहित्यिक, आध्यात्मिक मंचों के अलावा अनु ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर महोत्सव, मध्यप्रदेश के खजुराहो महोत्सव, हरियाणा के अंतराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला उत्सव, उत्तरप्रदेश के नोएडा शिल्पोत्सव, तिब्बत महोत्सव, आगरा के ताज महोत्सव ,बिहार के राजिम कुंभ मेला, ओडिशा के कोणार्क महोत्सव, कालाहांडी महोत्सव, चित्रकूट के रामायण मेला, गंगा तीरे महोत्सव, टैगोर महोत्सव,चंडीगढ़ आर्ट एंड लिटरेचर फेस्टिवल,जयशंकर प्रसाद महोत्सव एवं सिंगापुर ,दुबई, ऑस्ट्रेलिया, स्वीटजरलैंड, लंदन इत्यादि के विश्वप्रसिद्ध मंचों पर शानदार प्रस्तुति देकर सम्मानित हो चुकी है।

डा अनु कई सरकारी , गैर सरकारी और सामाजिक संस्थाओं के पर्यटन परियोजनाओं का गवाह भी बन चुकी है। अनु ने लगभग तीन हजार के ज्यादा लड़कियों को कत्थक नृत्य सीखा चुकी हैं। वर्तमान वह दिल्ली के नोएडा में रहकर छात्राओं को कत्थक नृत्य सीखा रही है।

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