छत्तीसगढ़

गुरु खुशवंत साहेब जी को “संस्कृत भूषण सम्मान” से अलंकृत किया गया

गुरु खुशवंत साहेब जी को राष्ट्रीय स्तर पर “संस्कृत भूषण सम्मान”

संस्कृत भाषा के समर्पण के लिए मिला राष्ट्रीय सम्मान, संस्कृत भाषा में ली थी विधायक पद की शपथ

रामायण रिसर्च काउंसिल ने गुरु खुशवंत साहेब जी को किया सम्मानित

गौरव का क्षण: गुरु खुशवंत साहेब जी को नई दिल्ली में मिला “संस्कृत भूषण सम्मान”

संस्कृति, संस्कृत और रामायण सेवा के लिए छत्तीसगढ़ का सिर हुआ ऊंचा

सतनामी समाज के गुरु और आरंग विधायक को मिला यह प्रतिष्ठित सम्मान

नई दिल्ली/रायपुर/आरंग— रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में नई दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री दर्जा, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब जी को भारतीय संस्कृति, संस्कृत भाषा एवं रामायण परंपरा के प्रचार-प्रसार हेतु किए गए उनके समर्पित प्रयासों के लिए “संस्कृत भूषण सम्मान” से सम्मानित किया गया।

गुरु खुशवंत साहेब जी ने इस सम्मान को अपने व्यक्तिगत गौरव के बजाय, उन सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को समर्पित किया जो हमारी गौरवशाली परंपराओं, विशेषकर संस्कृत भाषा और रामायण परंपरा के संवर्धन में निरंतर कार्यरत हैं।


आरंग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने के बाद गुरु खुशवंत साहेब जी ने विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ संस्कृत भाषा में ली थी। यह संस्कृत भाषा के प्रति उनके समर्थन एवं समर्पण का प्रमाण हैं। उन्होंने ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी सभ्यता की आत्मा है और इसके संरक्षण व प्रचार-प्रसार हेतु वे आजीवन समर्पित रहेंगे। यह सम्मान केवल एक पदक नहीं, बल्कि एक उत्तरदायित्व है जो हमारी सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की प्रेरणा देता है।

गुरु खुशवंत साहेब जी स्वयं सतनामी समाज के गुरु हैं और वर्तमान में वे मेकेनिकल इंजीनियरिंग विषय में पीएचडी कर रहे हैं। वे सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए, विशेष रूप से संस्कृत एवं भारतीय परंपराओं की गरिमा एवं परम् पूज्य गुरु घासीदास बाबा जी के संदेश मानव मानव एक समान का संदेश को आत्मसात कर जन-जन तक पहुंचाने हेतु निरंतर कार्य कर रहे हैं।

गुरु साहेब जी को मिले इस सम्मान पर आरंग विधासनभा क्षेत्र सहित छत्तीसगढ़ में खुशी की लहर है। प्रदेशभर के सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों, शिक्षाविदों और संस्कृत प्रेमियों ने इस सम्मान को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा के रूप में देखा है।उक्ताशय की जानकारी गुरु खुशवंत साहेब जी के PRO–देवेन्द्र निराला ने दी है।

     जारीकर्ता
PRO–देवेन्द्र निराला

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