छत्तीसगढ़

फूलों के कचरे से जैविक रूप से अपघटनीय पैकेजिंग विकल्प विकसित करने में NIT राउरकेला की सफलता

सतत नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) राउरकेला ने फूलों के कचरे से विकसित किए गए जैविक रूप से अपघटनीय पैकेजिंग सामग्री के लिए भारतीय पेटेंट प्राप्त किया है। “फूलों के कचरे से तैयार बहुउद्देश्यीय जैविक रूप से अपघटनीय पैकेजिंग सामग्री” नामक यह खोज प्लास्टिक प्रदूषण और जैविक कचरे के बढ़ते वैश्विक संकट के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह पेटेंटेड तकनीक रसायन विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर राज किशोर पटेल के मार्गदर्शन में श्री सौविक मंडल, श्री सुदीप्त पहाड़ी (एमएससी केमिस्ट्री, बैच 2023) और पीएचडी स्नातक डॉ. अभिजीत बेहरा द्वारा किए गए व्यापक शोध का परिणाम है। टीम ने एक ऐसी विधि विकसित की है जो बड़ी मात्रा में फेंके जाने वाले फूलों के कचरे को टिकाऊ, विषरहित और खाद में परिवर्तनीय पैकेजिंग सामग्री में बदल देती है।

प्रोफेसर आर.के. पटेल के अनुसार, “केवल राउरकेला शहर में ही प्रतिदिन लगभग 2.5 टन फूलों का कचरा फेंका जाता है। यदि इसे राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए, तो इस नवाचार की पर्यावरणीय और आर्थिक संभावनाएं अत्यंत गहन हैं।

यह न केवल जैविक कचरे के प्रबंधन की चुनौती से निपटने में मदद करता है, बल्कि फूल उत्पादकों, धार्मिक संस्थानों और छोटे पैमाने के कचरा संग्रहकर्ताओं के लिए आजीविका के अवसर भी प्रदान करता है। यह खोज पैकेजिंग की परिभाषा को ‘उपयोग के बाद त्यागने’ से ‘जिम्मेदारी’ और ‘कचरे’ से ‘मूल्य’ की ओर मोड़ती है।”

NIT राउरकेला द्वारा विकसित की गई यह जैविक पैकेजिंग सामग्री मजबूत यांत्रिक गुणों के साथ कृषि, खाद्य पैकेजिंग, एफएमसीजी, खुदरा और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में उपयुक्त है। यह 50 दिनों के भीतर 95 प्रतिशत से अधिक विघटित हो जाती है, कोई विषैले अवशेष या माइक्रोप्लास्टिक नहीं छोड़ती और इसके अपघटन से कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद प्राप्त होती है जो मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए लाभकारी है।

यह तकनीक केवल पर्यावरण के अनुकूल ही नहीं बल्कि व्यावसायिक रूप से भी व्यवहार्य है। पेटेंट स्वीकृति के बाद, दो कंपनियों के साथ व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ करने को लेकर बातचीत शुरू हो चुकी है। इसकी कम लागत वाली कच्ची सामग्री, मौजूदा औद्योगिक प्रक्रियाओं के अनुकूलता और विस्तार योग्य स्वरूप इसे उन उद्यमों के लिए आकर्षक विकल्प बनाते हैं जो सतत समाधान अपनाने के इच्छुक हैं।

यह नवाचार उन क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमिता को प्रोत्साहित कर सकता है जहाँ फूलों की भरपूर उपलब्धता है, जिससे पर्यावरणीय जिम्मेदारी और समावेशी आर्थिक विकास के बीच संतुलन स्थापित होता है।

इस तकनीक के सामाजिक और आर्थिक लाभ जमीनी स्तर तक पहुँचते हैं। फूलों के कचरे की माँग उत्पन्न करके और स्थानीय संग्रहण नेटवर्क को सक्षम बनाकर यह खोज ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाती है और संसाधनों के विकेन्द्रीकृत उपयोग को बढ़ावा देती है।

इसके साथ ही, यह तकनीक भारत के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और अंतरराष्ट्रीय जैविक पैकेजिंग मानकों जैसे EN 13432 और ASTM D6400 के अनुरूप है। यह सामग्री ISO और BIS मानकों का पालन करती है और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों विशेष रूप से लक्ष्य 12 (जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन) और लक्ष्य 13 (जलवायु कार्रवाई) की प्राप्ति में भी सहायक है।

यह पेटेंट NIT राउरकेला की वास्तविक दुनिया पर प्रभाव डालने वाले बहु-विषयक शोध के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सामग्री विज्ञान, पर्यावरण इंजीनियरिंग और सतत डिजाइन को एकीकृत करते हुए, इस नवाचार ने पैकेजिंग उद्योग की पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए एक सामयिक और प्रभावशाली विकल्प प्रस्तुत किया है।

जैसे-जैसे दुनिया परिपत्र अर्थव्यवस्था और सतत औद्योगिक अभ्यास की ओर बढ़ रही है, यह खोज भारत को जिम्मेदार और विस्तार योग्य नवाचार की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा करती है।

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