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रायगढ़ RTO में भ्रष्टाचार का रंग बिना ट्रायल लाइसेंस, सड़कों पर खतरे की जंग

एजेंट मोहरा, अधिकारी चालक: ड्राइविंग लाइसेंस के नाम पर चल रहा रिश्वत का खेल

रायगढ़ : जिला क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो चली हैं, और एक ग्रामीण के सनसनीखेज खुलासे ने इस काले कारनामे को उजागर किया है। ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का पर्दाफाश करते हुए ग्रामीण ने बताया कि बिना ड्राइविंग ट्रायल के ही उसका लाइसेंस बनकर तैयार हो गया। इस पूरे खेल में RTO के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं, जबकि एजेंटों को केवल मोहरा बनाया जा रहा है।

“पैसे दो, लाइसेंस लो” का खेल

ग्रामीण ने गोपनीय रूप से हमारे संवाददाता को बताया कि उसने लाइसेंस के लिए एक एजेंट को मोटी रकम दी। एजेंट ने भरोसा दिलाया, लेकिन लाइसेंस में देरी होने पर ग्रामीण ने RTO कार्यालय का रुख किया। वहां अधिकारी ने मामले को टालने की कोशिश की। चौंकाने वाली बात यह है कि जब ग्रामीण ने व्हाट्सएप पर रिश्वत का इशारा किया, तो अधिकारी ने उसे ब्लॉक कर दिया। फिर भी, बिना ट्रायल के लाइसेंस बन गया, जो RTO की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है।

ट्रायल कागजों में, सड़कें खतरे में

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ट्रायल अनिवार्य है, ताकि आवेदक की वाहन चलाने की क्षमता और यातायात नियमों की जानकारी सुनिश्चित हो। लेकिन रायगढ़ RTO में यह नियम केवल फाइलों तक सिमट गया है। ग्रामीण ने बताया कि न तो उसका टेस्ट हुआ, न ही कोई औपचारिकता पूरी की गई। फिर भी, लाइसेंस उसके हाथ में था। यह भ्रष्टाचार सड़क सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है, क्योंकि बिना प्रशिक्षण के ड्राइवर सड़कों पर उतर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है।

एजेंट मोहरा, असली खेल “ऊपर”

आम धारणा है कि एजेंट ही भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन इस मामले ने साबित किया कि वे केवल बिचौलिए हैं। ग्रामीण के अनुसार, एजेंट ने कहा था कि “ऊपर” (अधिकारियों) के बिना कोई काम नहीं होता। यह साफ करता है कि RTO में भ्रष्टाचार का तंत्र संगठित है, जिसमें उच्च स्तर के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। ऑनलाइन प्रणाली, जो पारदर्शिता के लिए लाई गई थी, उसका भी दुरुपयोग हो रहा है। फाइलों को “रोकने” या “आगे बढ़ाने” के लिए रिश्वत मांगी जाती है।

प्रशासन की चुप्पी, जनता परेशान

इस मामले में प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक है। ग्रामीण ने विभाग के कर्मचारियों की शिकायत अधिकारी से करने की कोशिश की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिला प्रशासन और परिवहन विभाग की निष्क्रियता से जनता मजबूरी में एजेंटों के चक्कर काट रही है। रायगढ़ में पहले भी सड़क हादसे हो चुके हैं, और ऐसी अनियमितताएं इनकी संख्या बढ़ा सकती हैं।

मांग: जांच और सख्त कार्रवाई

रायगढ़ RTO में भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में बिना ट्रायल जारी किए गए लाइसेंस की स्वतंत्र जांच हो। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई, ऑनलाइन सिस्टम को पारदर्शी बनाने, और जनता को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए। साथ ही, लंबे समय से एक ही RTO में जमे कर्मचारियों का तबादला हो, ताकि भ्रष्ट तंत्र टूटे।

जिला कलेक्टर से सवाल

रायगढ़ के जिला कलेक्टर इस मामले में कब संज्ञान लेंगे? क्या वे जांच कमेटी गठित करेंगे? भ्रष्टाचार का यह खेल कब तक बेखौफ चलेगा? आखिर कब मिलेगा ग्रामीण को इंसाफ?

निष्कर्ष

रायगढ़ RTO में भ्रष्टाचार का यह मामला केवल एक ग्रामीण की कहानी नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों की परेशानी का प्रतीक है। यदि प्रशासन तुरंत कार्रवाई नहीं करता, तो यह भ्रष्ट तंत्र न केवल जनता का शोषण करेगा, बल्कि सड़कों पर खूनखराबे का कारण भी बनेगा। समय है कि RTO को भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जाए, वरना “जब साहब सोएं, तब चोर मचाएँ धमाल!”

नोट : इस खबर का फॉलोअप जारी है। क्या जिला कलेक्टर कार्यवाही करेंगे, या भ्रष्टाचार का यह खेल बेरोकटोक चलेगा?

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