जीवन रेखा भारतीय रेल की रीढ़ की हड्डी हैं लोको पायलट , कृत संकल्पित रेलवे ने लोको पायलटों की बेहतर सुरक्षित कार्य सम्पादन के लिए उपलब्ध कराए कई सुविधाएं
Sanat Pradhan@चक्रधरपुर । भारत की जीवन रेखा कहे जाने वाली भारतीय रेल की रीढ़ की हड्डी है लोको पायलट । रेलवे में संरक्षा और सुरक्षा सर्वोपरि है। ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट भारतीय रेलवे की धुरी है। भारतीय रेलवे में प्रतिदिन संचालित होने वाली हजारों सवारी एवं मालगाड़ियों के संचालन का पूरा जिम्मा लोको पायलटों के कंधो पर होता है। हर मौसम में 24 घंटे काम करने वाले लोको पायलट निरंतर अपनी जिम्मेदारी को वहन करते हुए पूर्ण सतर्कता के साथ रेल संचालन में अपना योगदान देते हैं । युवाओं के बीच रेलवे में सेवा देने हेतु न केवल अत्यधिक क्रेज है, बल्कि समाज में लोको पायलट और गार्ड की नौकरी को अत्यंत ही सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है ।
रेलवे प्रशासन भी लोको पायलटों को सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कृतसंकल्पित है। रनिंग स्टाफ को तनाव रहित कार्य सम्पादन हेतु रेलवे प्रशासन द्वारा उनके लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है | 2014 से पहले लोको पेयालोटो के कार्यशैली और उनकी सुविधाएं आसाधारण थी लेकिन 2014 के बाद से लोको पायलटों की कार्य स्थितियों में बड़े सुधार किए गए हैं | जब लोको पायलट अपने मुख्यालय से बाहर जाते हैं, तब एक ड्यूटि पूरी होने पर रनिंग रूम (विश्राम गृह) में आराम दिया जाता है। रनिंग स्टॉफ को अपने मुख्यालय पर 16 घंटे एवं रनिंग रूम में 8 घंटे विश्राम के बाद अगली गाड़ी में बुकिंग की जाती है।
रनिंग रूम में कीटाणु रहित वातानुकूलित शयनकक्ष, आरओ एवं वाटरकूलर युक्त पेयजल की सुविधा, साफ लिनेन, मनोरंजन के लिए कैरम बोर्ड, मेडिटेशन रूम, समाचार-पत्र व पत्रिकाओं की सुविधा, डाइनिंग हॉल, चेयर, टेबल की व्यवस्था, रेफ्रिजरेटर, आयरन, वाशिंग मशीन की व्यवस्था जैसी घर से दूर घर जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है | लोको कैब की स्थिति में सुधार करते हुये लगभग 90 प्रतिशत लोको के कैब में एसी की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गई है |
2014 से 2024 तक 558 वातानुकूलित विश्राम गृह( एसी रनिंग रूम) 7075 इंजन के अंदर वातानुकूलित केबिन ( एसी लोको कैब), 815 लोको इंजन में टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध कराई है है। लोको पायलटों के ड्यूटि घंटों की सावधानीपूर्वक निगरानी की जा रही है | ड्यूटि के बाद विश्राम भी बहुत ही सावधानी पूर्वक प्रदान किया जा रहा है |
ड्यूटि के घंटे निर्धारित समय के भीतर रखे जाते हैं | इस वर्ष जून माह में औसत ड्यूटि घंटे की अवधि लगभग 8 घंटे हैं | केवल अत्यावश्यक स्थिति में ही ड्यूटि की अवधि निर्धारित घंटों से अधिक होती है | पिछले कुछ वर्षों में भर्ती की प्रक्रिया पूरी करते हुये 34 हजार रनिग स्टाफ की भर्ती की गई है | वर्तमान में 18 हजार रनिग स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया चल रही है | इसके साथ ही महिला लोको पायलटों के लिए इंजन में प्रसाधन की सुविधा हेतु जगह चिन्हित की जा रही है एवं इस सुविधा को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है |