छत्तीसगढ़

न्यायालय के आदेश की अवहेलना का आरोप, दुर्ग एसपी पर उठे सवाल

👉🏻महिला आवेदिका का गंभीर आरोप – न्यायालय द्वारा एफआईआर के आदेश के बावजूद पुलिस अधीक्षक ने नहीं कराई प्राथमिकी दर्ज

👉🏻महिला आवेदिका ने थाना पुरानी भिलाई पुलिस पर किया गंभीर आरोप, अपराध क्रमांक 278/2024 से जुड़ा मामला

दुर्ग | छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में न्यायिक आदेशों की अवहेलना का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि पुलिस अधीक्षक दुर्ग जीतेंद्र शुक्ला द्वारा न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद थाना पुरानी भिलाई के निरीक्षक महेश ध्रुव और महिला थाना प्रभारी श्रद्धा पाठक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। आवेदिका पूनम शर्मा ने इस मामले में पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग संभाग को शिकायत पत्र भेजते हुए पुलिस अधीक्षक पर जानबूझकर दो अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया है।

आवेदिका द्वारा प्रस्तुत शिकायत के अनुसार, माननीय न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, भिलाई-3 ने 27 जनवरी 2025 को दिए अपने आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि थाना पुरानी भिलाई के निरीक्षक महेश ध्रुव और महिला थाना प्रभारी श्रद्धा पाठक के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाए। न्यायालय के आदेश के अनुपालन में पुलिस महानिरीक्षक ने पुलिस अधीक्षक दुर्ग को आवश्यक निर्देश भी दिए थे, लेकिन 20 फरवरी 2025 की दोपहर 2 बजे तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि आवेदिका और उनके पति प्रोबीर शर्मा को आंध्र प्रदेश के पीठापुरम जिले से भिलाई लाने के दौरान न तो स्थानीय सक्षम न्यायालय से अनुमति ली गई, न ही वहां की पुलिस को सूचित किया गया। आरोपों के अनुसार, इस प्रक्रिया में महिला पुलिस कर्मी की भी अनुपस्थिति रही, जिससे कानून और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का गंभीर उल्लंघन हुआ।

आवेदिका ने बताया कि उन्हें महिला थाना भिलाई में सुबह 8:30 बजे तक हिरासत में रखा गया और पूछताछ के नाम पर उनके दो मोबाइल जब्त कर लिए गए, जिनकी कोई पावती तक नहीं दी गई। देर शाम 7 बजे उन्हें छोड़ा गया, लेकिन मोबाइल फोन वापस नहीं किए गए।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि पुलिस अधीक्षक ने जानबूझकर थाना अधिकारियों को आपराधिक कार्रवाई से बचाने के लिए एफआईआर दर्ज नहीं कराई, जिससे न्यायालय के आदेश की अवहेलना हुई। अब इस प्रकरण में पुलिस महानिदेशक और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को भी पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की गई है।

सूत्रों के अनुसार, यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आवेदिका न्यायालय की अवमानना याचिका दायर कर सकती है। अब देखना होगा कि पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या न्यायालय के आदेश के अनुपालन में कोई ठोस कार्रवाई की जाती है।

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