
दूसरी पत्नी पर लागू नहीं होती आईपीसी की धारा 494: न्यायालय ने दी स्पष्ट व्यवस्था
रायपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने द्विविवाह के आरोप में एक महिला के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 494, जो जीवित पति या पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने पर सजा का प्रावधान करती है, वह दूसरी पत्नी पर लागू नहीं होती।
मामला वर्ष 2011 का है, जब एक व्यक्ति ने अपनी पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी की थी। इस पर पहली पत्नी ने पति और दूसरी पत्नी के खिलाफ आईपीसी की धारा 494 के तहत मामला दर्ज कराया था। दूसरी पत्नी ने इस आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 528 के तहत याचिका दाखिल की थी।
न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दूसरी पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि दूसरी पत्नी को शादी के वक्त पति की पहली शादी की जानकारी नहीं थी और इस स्थिति में उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही न्यायोचित नहीं है।
यह फैसला ऐसे मामलों में दूसरी पत्नी की कानूनी स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करता है, जिससे भविष्य में आने वाले मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को स्पष्टता मिलेगी।