नक्सलगढ़ के नौनिहालों को घुड़सवारी का प्रशिक्षण ।
घुड़सवारी के गुर सीख रहे नक्सलगढ़ के नौनिहाल
दंतेवाड़ा राज्य का पहला आदिवासी बहुल जिला जहां दी जा रही है बच्चों को घुड़सवारी की ट्रेनिंग, ।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ ओलंपिक के टारगेट को ध्यान में रख इन बच्चों को तैयार किया जा रहा है ।
छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले के गीदम के जावंगा एजुकेशन सिटी में आदिवासी स्टूडेंट्स को नेशनल और ओलंपिक के लिए तैयार किया जा रहा है।यहां विदेशी नस्ल के 10 से 12 घोड़ों के माध्यम से सुबह-शाम निशुल्क ट्रेनिग दी जा रही है।
इसके लिये जिला प्रशासन ने हॉर्स राइडिंग सिखाने वाली रायपुर की एक संस्था से टाईअप किया है। संस्था ने 10 से 12 घोड़ों के साथ घुड़सवारी के 2 एक्सपर्ट ट्रेनर विजेता चौधरी और रूपल सिंह गोगादेव को दंतेवाड़ा भेजा है। जरूरत पड़ने पर घोड़ों की संख्या बढ़ाई भी जाएगी।
ये दोनों ट्रेनर जिले के 50 से ज्यादा बच्चों को हॉर्स राइडिंग सिखा रहे हैं।
कुछ बच्चे स्टंट भी करने लगे हैं।
गीदम के जावंगा एजुकेशन सिटी में एरिना यानी हॉर्स राइडिंग का मैदान बनाया गया है। पहले घोड़े पर शेडल , स्टेरफ बेल्ट लगाना और उतारना, फिर घोड़े पर चढ़ना सिखाया जाता है। यहां बेसिक ट्रेनिंग लेने के बाद बेहतर हो और जिसने बेसिक ट्रेनिंग अच्छी तरह से सीख लिया हो उन्हें पास के ही आस्था गुरुकुल मैदान में भेजा जाता है। जहां उन्हें स्टंट सिखाया जाता है।
ट्रेनिंग लेने वाले स्टूडेंट्स जितेंद्र यादव का कहना है उसने यू ट्यूब और फिल्मों में या फिर शादी पर दूल्हे को घोड़े पर देखा था ।
घोड़े में बैठने, घुड़सवारी करने की ख्वाहिश मन में थी पर इसके खर्च का बोझ माता-पिता नहीं उठा सकते थे फिर मुझे पता चला कि हमारे जाऊंगा एजुकेशन सिटी में घुड़सवारी सिखाई जाएगी तो मैंने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया । अब हर दिन सुबह शाम पूरी लगन और तन्मयता से मैं घुड़सवारी के गुर सिख रहा हूँ ताकि राष्ट्रीय व ओलम्पिक स्तर तक कि यात्रा सफलतापूर्वक के अपने जिले , प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकूं ।
आत्मविश्वास से भरे जितेंद्र को उम्मीद है कि वह अपने लक्ष्य को हासिल करेगा क्योंकि कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं ।
कुछ इसी तरह की भावनाएं अंजली यादव की है जो कांकेर जिले के एक नक्सल प्रभावित गांव की रहने वाली है और यहां 10 वीं की छात्रा है ।
आगामी 15 अगस्त को करेंगे ये दमदार बच्चे हॉर्स शो ।
ट्रेनर विजेता चौधरी ने कहा कि जिले के आदिवासी बच्चे बहुत स्ट्रांग है। घुड़ सवारी करना हर किसी के बस में नहीं होता। इन्हें बस मार्ग दर्शन देना पड़ता है बाकी ये खुद कर लेते हैं । उन्होंने बताया कि फिलहाल थोरो और हेनिवेरियन विदेशी नस्ल के घोड़ों से इन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है। ये घोड़े दौड़ने और स्टंट के लिए होते हैं। इसमें पारंगत बच्चों के लिए फिर दूसरे नस्ल के घोड़े लाए जाएंगे।
आगामी सितंबर में मध्य प्रदेश में होने वाले इवेंट और अगले साल दिल्ली में होने वाले हॉर्स शो में भी यहां के बच्चों को पार्टिसिपेट करने के लिए भेजा जाएगा ताकि वे वहां से भी उच्चस्तरीय जानकारी ले सकें ।
कलेक्टर दंतेवाड़ा ने कहा कि ये एक ऐसा स्पोर्ट्स है जो कॉन्फिडेंस बिल्डिंग के लिए हेल्पफुल साबित होता है। यहां के बच्चों के लिए ये नया स्पोर्ट्स है। खास बात है कि जिले के आदिवासी बच्चों में बाहर के अन्य बच्चों की अपेक्षा नेचुरल स्टेमना होता है। किसी भी चीज को सीखने की ललक भी इनमें बहुत होती है। हमारी कोशिश है कि इस हॉर्स राइडिंग प्रोजेक्ट को हम लंबे समय तक चलाएं। ताकि यहां के बच्चे नेशनल और उससे आगे खेलने जा सकें।