क्या महिला बाल विकास मंत्री लेगी संज्ञान या फिर उन्हीं के संरक्षण में प्रभारी को मिली जिम्मेदारी?
सूरजपुर। प्रदेश के महिला एवं बाल विकास मंत्री जिले से होने के बाद भी महिला एवं बाल विकास का जिम्मेदारी प्रभारी के मत्थे चल रहा है। इनके द्वारा अधीन कर्मचारी मौज कर रहे है। आंगन बाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी हमेशा बन्द रखती है। महतारी वंदन योजना का लाभ क्षेत्र के महिलाओं को नही मिल पा रहा है। सुपर वाइजर घर बैठे फील्ड का दौरा कर प्रतिमाह दैनदीनी निकाल रही है।
इसी कड़ी में प्रेमनगर विकास खंड के बकिरमा सैक्टर की आंगन बाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका प्रभारी सीडीपीओ के सह पर आंगन बाड़ी केंद्र में ताला लगाकर अपने सुपर वाइजर का बचाव करने जिला कार्यालय पहुंचे, हमारे सुपर वाइजर के कार्य करने के बावजूद कहते है कि वो नहीं आते है। हमेशा जबकि हमारी सुपर वाइजर हमेशा आना जाना करती है।
फील्ड में अच्छी व्यवस्था है। किंतु धरातल में सुपर वाइजर नदारद है। प्रेमनगर विकास खंड भगवान भरोसे है। इस क्षेत्र के आदिवासी को सुविधाओं के नाम पर खाना पूर्ति है। कागजों में शासन की योजनाओं का संचालन हो रहा है। महिलाओं के पास आधार कार्ड नहीं है। महतारी वंदन योजना का लाभ नहीं है। बच्चों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। बच्चे कुपोषित है। तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित है। जिसके बाद भी अपने जिला कार्यक्रम अधिकारी को ज्ञापन देकर बता रहे है। की फील्ड में बेहतर कार्य हो रहा है। साथ ही संयुक्त कलेक्ट्रेड भवन के सामने आंगन बाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के साथ जिला कार्यक्रम अधिकारी मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवा रहे है। वहीं दसरी तरफ आंगनबाड़ी केंद्र में ताला लगा है।
अफसर को पद की गरिमा और कार्य करने की शैली होता तो इनके द्वारा समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों के सहायिकाओं को नोटिस देकर पूछा जाता कि आप बगैर सूचना के आंगनबाड़ी बंद कर कार्यालय पहुंच कर अपने अधिकारी का बचाव कर रहे है। साथ ही सभी का एक दिन का मानदेय रोका जाना था कि इस तरह की गलती दुबारा नहीं हो, लापरवाह सुपर वाइजर को भी नोटिस देकर जांच किया जाना था कि इनके विरुद्ध शिकायत क्यों आ रहे है। किंतु प्रशासनिक विडंबना है कि लापरवाह गैर जिम्मेदार अफसर को जिले की कमान मंत्री जी के गृह जिले में दी हुई है। जिन्हें कार्य करने का अनुभवर ही नहीं है। इनके अंदर कार्य करने वाले अधीनस्थ कर्मचारी के इशारें पर कार्य कर रहे है।