एक तरफ सीआरपीएफ डीजी विदाई परेड पर करोड़ों रुपए खर्चा दुसरे और वार्षिक मेले आयोजन की मनाही
सीआरपीएफ डीजी श्री अनिश दयाल सिंह जोकि 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं उनके सम्मान में विदाई परेड समारोह का भव्य आयोजन किया जाएगा। एलाइंस आफ़ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में करोड़ों रुपए का खर्चा आता है जो कि सरकार की निति के एकदम विपरीत है।
इस प्रकार के आयोजनों से बचा जा सकता है जिसके कारण जवानों की छुट्टियों की प्लानिंग पर असर पड़ता है। इस तरह के आयोजनों पर होने वाले अनावश्यक खर्च को दुसरे कल्याणकारी कार्यक्रमों में सदुपयोग किया जा सकता है।
ज्ञातव्य रहे कि भारत के सबसे बड़े केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल सीआरपीएफ के महानिदेशक श्री के दुर्गा प्रसाद द्वारा 28 फरवरी 2017 में अपनी सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में की जा रही विदाई सम्मान परेड में शामिल होने से मना कर दिया था। सीआरपीएफ जवान चुनावों, नक्सलवाद क्षेत्रों में मुस्तैद हैं ये मेरे लिए सम्भव नहीं,उन्होंने खुद अपने शब्दों में कहा कि उन्होंने ‘बल की सुविधा को ध्यान में रखते हुए’ विदाई सम्मान परेड में जाना उचित नहीं जो कि एक मिसाल कायम की थी माननीय पूर्व डीजीपी श्री के दुर्गा प्रसाद द्वारा।
महासचिव रणबीर सिंह ने आगे बताया कि दिनांक 20 अक्टूबर 2024 को डीजी सीआरपीएफ व अन्य फोर्सेस हेडक्वार्टर को ईमेल कर हर साल आयोजित किए जाने वाले वाले वार्षिक मेले को फिर से शुरू करने हेतु निवेदन किया गया लेकिन उसके जवाब में डीजी सीआरपीएफ द्वारा मेले के आयोजन नहीं करने पर असहमति जताते हुए कहा कि इससे जवानों के परिचालन व्यवस्था, सुरक्षा का सवाल के अतिरिक्त जवानों के आवागमन के कारण बल पर वित्तीय भार बढ़ता है। ज्ञातव्य रहे कि कोविड महामारी के चलते इस तरह के वार्षिक मेले आयोजनों को सुरक्षा बलों द्वारा रद्द कर दिया गया था।
वार्षिक मेले आयोजनों के सम्बन्ध में पूर्व एडीजी सीआरपीएफ श्री एचआर सिंह ने कहा कि आम पब्लिक में इस प्रकार के आयोजनों से फोर्स की छवि में इजाफा होता है साथ ही युनिट द्वारा लाए गए अलग-अलग राज्यों के उत्पादों की खरीदारी से बटालियन कैंटीन फंड में इजाफा होगा इसके अलावा मेले के दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का पैरामिलिट्री परिवार आनंद ले सकेंगे।
इस प्रकार के विदाई समारोह परेड महानिदेशालय प्रांगण में आयोजन कर अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकता है पहले भी इस प्रकार के आयोजन महानिदेशालय प्रांगण में आयोजित किए जाते रहे हैं जिसमें चायपान के अलावा कोई खास खर्चा नहीं होता।