प्रशासन: बुजुर्गों के कहने पर सूखा खेत अरपा का उद्गम
हकीकत: 114 साल के रिकॉर्ड में इसका कहीं जिक्र नहीं
छत्तीसगढ़ शासन-प्रशासन ने दिसंबर 2024 में बिलासपुर हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत किया है कि अरपा नदी का उद्गम स्थल पेंड्रा रोड स्थित अमरपुर में है। मगर, इस जवाब में प्रशासन ने खुद इसे ‘कथित’ उद् गम लिखा है। इसके पीछे आधार सिर्फ कुछ बुजुर्गों की बताई कहानियां हैं।
यानी प्रशासन खुद भ्रम में है। भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि अमरपुर में उद्गम के दावे का कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं है। न ही इससे जुड़ा कोई भू-वैज्ञानिक सर्वे है। यह सामान्य कृषि भूमि है, जिस पर 114 सालों से खेती हो रही है। उधर, इसके अतिरिक्त 2 और स्थलों पर उद् गम होने के दावे किए जा रहे हैं।
अरपा नदी के उद् गम संरक्षण-संवर्धन को लेकर 2019, 2020 में लगी जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है। हाई कोर्ट के आदेश पर ही अरपा रिवाइवल कमेटी बनी है। भास्कर गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के पेंड्रा रोड स्थित अमरपुर तक पहुंचा।
यहां प्रशासन ने अरपा उद् गम स्थल का बोर्ड लगा दिया है। सड़क किनारे की 8.75 एकड़ निजी कृषि भूमि का अधिग्रहण करने की तैयारी है। सन् 1910 के गजेटियर और 1917 के मिसल रिकॉर्ड मेंइस जमीन पर उद् गम का कोई उल्लेख नहीं है।
कल जनसुनवाई: भू-अर्जन के लिए 19 दिसंबर को पेंड्रा में जनसुनवाई होनी है। इसमें सभी पक्ष रखेंगे। उद्गम स्थल पर भू-अर्जन और सौंदर्यीकरण के लिए 7.88 करोड़ रु. प्रशासन ने स्वीकृत करवा लिए हैं।
ये हैं अरपा उद्गम के 3 दावे – गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में एक्सपर्ट के साथ पहुंचा भास्कर
दावा 1 अमरपुर रोड, पेंड्रा: यहां कोई आधार नहीं, पर प्लान यहीं का
पेंड्रा रोड के किनारे है अमरपुर। सड़क किनारे शाहबान खान नामक किसान का खेत है। इसी जमीन पर प्रशासन ने अरपा उद्गम का बोर्ड लगा दिया है। बाकायदा दस्तावेज में इसे कथित अरपा उद्गम नाम देकर जमीन अधिग्रहण, मुआवजे के लिए राशि भी स्वीकृत करवा ली है। यह सरकारी दावा है, ग्रामीण इसे उद्गम नहीं मानते।
दावा 2 ग्राम खोंडरी, पेंड्रा: रेलवे दस्तावेज और टोपो शीट के आधार पर
पेंड्रा के खोंडरी में सोनकछार और नदी के संगम से चंद कदम की दूरी पर छोटे टीले से पानी निकल रहा है। यहां कुंड बना है। सोनकछार और मलेनिया संगम का पानी, आगे कुंड के पानी में मिलता है। सरपंच उमेंद सिंह व अध्यक्ष, अरपा उद्गम संरक्षण समिति अवधेश गुर्जर दस्तावेज दिखाते हुआ कहते हैं- यही अरपा उद्गम है। यहां हम वर्षों से अरपा महोत्सव मनाते आ रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
दावा 3 अमरकुंड, तवाडबरा: भूगोलविद् की रिसर्च के आधार पर उद्गम
भूगोलविद प्रो. पीएल चंद्राकर के अनुसार भूवैज्ञानिक मापंदड के अनुसार गंगा नदी से समझिए। जैसे- भागीरथी और अलकनंदा संगम के आगे का प्रवाह गंगा हैं। भागीरथी के उद्गम गोमुखी को गंगा का भी उद्गम मानते हैं। अरपा उद्गम भी इसी प्रकार है। ग्राम मोहली, कोटा में माटीनाला व मलेनिया के संगम से आगे के प्रवाह का नाम अरपा है, लेकिन उद्गम अमरावती नदी के उद्गम स्थल अमरकुंड, तवाडबरा से है।
भू-स्वामी शाहबान का कलेक्टर को पत्र, जो अहम
इसमें लिखा है- कुछ लोग द्वेषवश मेरी लगानी भूमि को अरपा उद्गम बताकर मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। भ्रामक खबरें प्रकाशित की जा रही हैं। जबकि किसी खसरे, नक्शे में मेरी जमीन पर उद्गम नहीं है। इस पत्र में शाहबान ने 20 दस्तावेज लगाए, सभी भास्कर के पास हैं।
इसलिए है अरपा खास
- राजगीत का पहला शब्द अरपा।
- बिलासपुर के बीच से बहती है।
- गौरेला पेंड्रा मरवाही, बिलासपुर मुंगेली की जीवनदायिनी नदी।
5 साल पहले: अमरपुर में अरपा उद्गम नहीं, फिर आज क्यों माना

23-03-2017: अपर कलेक्टर आईएस अग्रवाल की कलेक्टर बिलासपुर को चिट्ठी शाहवान खान भूस्वामी की जमीन पर किसी भी जल स्रोत होने का कोई चिन्ह विद्यमान होना नहीं पाया गया। यह भी उल्लेख- उद्गम स्थल में प्राकृतिक जल उद्गम का स्रोत होना या पानी का बहाव आवश्यक है। समाचार पत्र में जिस स्थल को अरपा का उद्गम होना बताया गया, वहां इससे संबंधित प्रमाण नहीं है। ऐसी स्थिति में उक्त स्थल को अरपा नहीं का उद्गम स्थल मानने का कोई औचित्य नहीं है।
09-01-2020: एसडीएम की सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण को चिट्ठी: पेंड्रारोड अंतर्गत अरपा उद्गम स्थल के नाम से कोई भूमि राजस्व अभिलेख में दर्ज नहीं है। खोंगसरा के मिशल नक्शे में उद्गम और प्रवाह उक्त स्थल में नहीं होना पाया गया।
11-11-2024: प्रशासन के दल ने मुहर लगाई: जीपीएम प्रशासन ने इस खेत का जायजा लिया। इसके बाद 28 नवंबर 2024 को तहसीलदार ने एसडीएम को भू-अधिग्रहण की पहली चिट्ठी लिखी। इसमें ‘कथित उद्गम’ का जिक्र है। पूर्व सीएम भूपेश ने इसे पूर्वजों का बताया उद्गम कहा था, तभी से प्रशासन इसे साबित करने में जुट है।
जिम्मेदार बोलीं: अभी प्रकरण हाईकोर्ट में
^उद्गम स्थल में निर्माण के लिए भू-अर्जन की कार्रवाई 18 माह में पूरी होगी, इसका प्लान तैयार है। प्रकरण हाईकोर्ट में है, इसलिए उद्गम स्थल को लेकर मैं कुछ नहीं कह पाऊंगी। -लीना कमलेश मंडावी, कलेक्टर, गौरेला पेंड्रा मरवाही एवं अध्यक्ष, अरपा रिवाइवल कमेटी
सबका एक ही मत… उद्गम का पता लगाने के लिए भू-वैज्ञानिक सर्वे जरूरी एक्सपर्ट व्यू– प्रो. निनाद बोधनकर, प्रोफेसर भू-विज्ञान विभाग, पं. रविवि। डॉ. एमपी गुप्ता, भूगोल शास्त्री। प्रो. पीएल चंद्राकर, भूगोल शास्त्री। प्रो. एसएल निगम, इतिहासकार। दैनिक भास्कर ने अरपा के उद्गम स्थल को लेकर इन सभी विशेषज्ञों से बात की। सभी का एक ही मत है कि उद्गम का पता लगाने के लिए भू-वैज्ञानिक सर्वे जरूरी है। खेत ढलान में है तो पानी रुकेगा ही। इसे नदी का उद्गम नहीं माना जा सकता।