छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के डीपीएम सुनील शर्मा क्या काफी प्रभावशील अधिकारी हैं, जिनका स्थानांतरण रुकवाने की पैरवी जारी है?

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चार अधिकारी व कर्मचारी का हुआ स्थानांतरण तीन को किया गया भारमुक्त एक सुनील शर्मा को संलग्नीकरण करने की कवायद जारी।

व्यवस्था के तहत होने वाले स्थानांतरण आखिर राजनीति की भेंट क्यों चढ़ते हैं?

सुनील शर्मा को सूरजपुर जिले में ही रहने देने के लिए उनका स्थानांतरण निरस्त करने व संलग्नीकरण के लिए मंत्री को लिखना पड़ा मिशन संचालक को पत्र।

आखिर क्यों सुनील शर्मा रहना चाहते हैं सूरजपुर जिले में ,नए पदस्थापना स्थल पर क्यों नहीं जाना चाहते?

ऐसा क्या है सुनील शर्मा में की मंत्री से लेकर जिला पंचायत सीईओ तक है उनके ऊपर मेहरबान?

राष्ट्रीय आजीविका मिशन सूरजपुर जिले के डीपीएम सुनील शर्मा आखिर क्यों शासन के आदेश की अवहेलना करते हुए भार मुक्त नहीं होना चाह रहे हैं?

सूरजपुर जिला पंचायत सीईओ ने 4 में से 3 को किया भारमुक्त… एक को भारमुक्त करने से क्यों बच रही?

क्या छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुनील शर्मा जिपं सीईओ सूरजपुर के चहेते, जिस वजह से उन्हें नहीं करना चाह रही वह भारमुक्त?

सूरजपुर  सरकार में चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि कहीं ना कहीं सिस्टम को खोखला करने की कोशिश करते हैं यही वजह है कि कई बार व्यवस्था के तहत होने वाले स्थानांतरण को प्रभावित किया जाता है एक बार फिर ऐसा ही एक मामला सूरजपुर जिले का सामने आया है जहां पर कई महीने पहले राष्ट्रीय आजीविका मिशन में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों का स्थानांतरण किया गया था जिसमें से तीन कर्मचारियों को भारमुक्त कर दिया गया पर वही सुनील शर्मा डीपीएम को भारमुक्त नहीं किया गया

और अब उनका स्थानांतरण निरस्त करने व उन्हें सूरजपुर जिले में ही संलग्नीकरण करने की कवायत जारी हो गई है, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला पंचायत सीईओ सूरजपुर उन्हें भार मुक्त नहीं कर रही हैं वहीं एक कैबिनेट मंत्री मिशन संचालक विकास आयुक्त कार्यालय राष्ट्रीय आजीविका मिशन रायपुर को को पत्र लिखकर सुनील शर्मा डीपीएम का स्थानांतरण निरस्त करने व सूरजपुर में संलग्नीकरण करने निर्देशित कर रही हैं।

मिली जानकारी के अनुसार सुनील शर्मा जिला कार्यक्रम प्रबंधक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान ) को जिला पंचायत सूरजपुर के जिला पंचायत सीईओ द्वारा रीलीव नहीं किया जा रहा है, सुनील शर्मा जिला पंचायत सीईओ सूरजपुर के साथ साथ अब राजनैतिक जुगाड़ लगाने व अपना ट्रान्सफर आदेश कैंसिल कराने में वयस्त है, आखिर ऐसी क्या वजह है कि सुनील शर्मा सूरजपुर जिले में ही रहना चाहते हैं क्या यहां पर उन्हें लाभ अर्जित करने में सहयोग मिल रहा था या फिर इस जिले में ऊपरी लाभ ज्यादा है? क्या स्थानांतरण निरस्त सूरजपुर जिले में संलग्न कर आना किसी भ्रष्टाचार की ओर तो इशारा नहीं कर रहा।

 महिला समूह से होती है अवैध उगाही

सूत्रों का यह भी कहना है ज़िलें के स्वयं सहायता समूहों कि महिलाओं को भी हर कार्य के लिए पैसे का डिमांड किया जाता है या फिर उस महिला को कार्य से निकाल दिया जाता है, महिलाओं को ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, सुनील शर्मा जिला सीईओ की या उनके द्वारा किया गए कार्य का मानदेय नहीं देने एवं उसे कार्य से निकालने कि धमकी दी जाती है। ज़िलें में भ्रष्टाचार को बढ़ावा ही नहीं बल्कि ज़िलें को ख़राब किया जा रहा है।

चार कर्मचारियों में से तीन को भार मुक्त करना और एक
को रोकना सवालों के घेरे में

कांग्रेस शासन काल की तरह भाजपा में भी इस ढर्रे पर चल रहा शासनकाल कुछ ऐसा ही बयां कर रहा सूरजपुर जिले का प्रशासन, एसआरएलएम विकास आयुक्त कार्यालय रायपुर द्वारा चार अधिकारियों का किया था स्थानांतरण पर उन्हें भारमुक्त नहीं किया गया, और अब जब हर बात करने का दबाव है तो एक व्यक्ति को रोक कर तीन व्यक्ति को भारमुक्त किया जा रहा है,

जिसे डीपीएम सुनील शर्मा को भारमुक्त नहीं किया जा रहा है या तो वह काफी पहुंच पकड़ वाले हैं या फिर जिला पंचायत सीईओ के काफी करीबी हैं जिस वजह से जिला पंचायत सीईओ उन्हें भारमुक्त नहीं करना चाह रही हैं? क्या सूरजपुर जिला पंचायत सीईओ भी मनमानी कर रहे हैं जब स्थानांतरण आदेश ऊपर से है तो फिर क्यों किसी एक व्यक्ति को रोक कर रखा जा रहा है

जिसे लेकर सवाल उठना लाजिमी है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत सूरजपुर जिले में अनियमिता फैलाने वाले चार अधिकारियों का तबादला फरवरी माह में किया गया था और उन्हें तत्काल भारमुक्त करना था जिसमें तीन को जिला पंचायत सीईओ द्वारा भारमुक्त कर दिया गया पर वही एक जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनील शर्मा को अभी तक भारमुक्त नहीं किया गया,

अब ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या सुनील शर्मा जिला पंचायत सीईओ के चहेते हैं या फिर जिला पंचायत सीईओ उन्हें भारमुक्त ना करके उन्हें जिले में रखना चाहती हैं? वहीं सूत्रों का कहना है की जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि कर्मचारियों की कमी है तो क्या कर्मचारियों की कमी है तो वह शासन के आदेश का पालन नहीं करेंगी? क्या जिला पंचायत सीईओ शासन के आदेश का पालन नहीं करना चाहती या फिर उसे आदेश का अवेहलना करना ही उनका उद्देश्य है

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्यालय जिला पंचायत सूरजपुर मे पदस्थ अधिकारी/कर्मचारियों का शिकायत का जॉच कुछ दिन पूर्व राज्य कार्यालय से उच्च अधिकारियों के द्वारा किया गया था। जिसमे जॉच टीम द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत कार्यरत् जिला एवं जनपदों में कार्यरत् समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों का बयान लिया गया था।

जॉच पश्चात् बाद दिनांक 20 फरवरी 2024 को 4 अधिकारियों का स्थानान्तरण राज्य कार्यालय से अन्य जिले मे किया गया, जिसमें सत्य प्रसाद मिश्रा जिला कार्यक्रम प्रबंधक – वित्तीय समावेशन को सूरजपुर जिला से बलरामपुर किया है, विनीत कुमार दुबे जिला कार्यक्रम प्रबंधक को सूरजपुर से गौरेल्ला – पेण्ड्रा – मरवाही किया गया है, ज्ञानेन्द्र सिंह जिला मिशन प्रबंधक को बलरामपुर किया गया,

सुनील शर्मा जिला कार्यक्रम प्रबंधक एस .एम .आई .बी को जिला दुर्गा किया गया था लेकिन इनमे से 03 अधिकारियों को जिला सूरजपुर से स्थानान्तरित स्थान के लिए भारमुक्त तो कर दिया गया है। दिनांक 7 मार्च 2024 को विनीत कुमार दुबे का भार मुक्त किया गया , दिनांक 6 मार्च 2024 को ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह का भार मुक्त किया गया, दिनांक 6 मार्च को सत्य प्रकाश मिश्रा का भार मुक्त किया गया लेकिन चौथै स्थानांतरित अधिकारी सुनील शर्मा डीपीएम को आज तक स्थानांतरित जिला – दुर्ग हेतु भारमुक्त नही किया जा रहा है

सुनील शर्मा डीपीएम जिला पंचायत सूरजपुर को भारमुक्त नही करने मे जिला के कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है जबकि राज्य कार्यालय के जॉच मे सुनील शर्मा डीपीएम मुख्य रूप से जिला सूरजपुर मे भ्रष्टाचार फैलाने के दोषी पाये गये थे। लेकिन अधिकारियों से सांठ-गांठ कर आज दिनांक तक जिला पंचायत सूरजपुर मे जमे हुए हैं एवं स्थानान्तरित जिला हेतु भारमुक्त न होकर जिला-सूरजपुर मे भ्रष्टाचार को बढावा दे रहे हैं।

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