रायगढ़

रायगढ़ में एनएचएम कर्मचारियों का वेतन संकट गहराया, आंदोलन की चेतावनी

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रायगढ़, छत्तीसगढ़ | राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मचारियों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को समय पर वेतन, एरियर्स और इंसेंटिव का भुगतान नहीं होने से रायगढ़ जिले में असंतोष गहराता जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि बजट उपलब्ध होने के बावजूद प्रशासनिक उदासीनता के कारण भुगतान में लगातार देरी हो रही है, जिससे वे गंभीर आर्थिक और मानसिक संकट का सामना कर रहे हैं।



जिले में करीब 750 एनएचएम संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें लगभग 230 सीएचओ शामिल हैं। ये सभी ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाते हैं। कर्मचारियों के अनुसार, अक्टूबर माह का वेतन 12 दिसंबर को जारी किया गया, जबकि नवंबर माह का वेतन अब तक लंबित है। इसके साथ ही जुलाई 2023 से देय 5 प्रतिशत एरियर्स का भुगतान भी नहीं हुआ है।

सीएचओ को जून 2025 से इंसेंटिव राशि नहीं मिलने का मामला भी गंभीर बन गया है। इंसेंटिव से जुड़ी टीडीएस कटौती समय पर केंद्र सरकार के खाते में जमा नहीं हो पाने के कारण कई कर्मचारी आयकर रिटर्न और रिफंड से वंचित हो रहे हैं। इससे वे आयकर विभाग की कार्रवाई के भय में भी हैं।



कर्मचारियों ने बताया कि राज्य स्तर से 1 दिसंबर 2025 को रायगढ़ जिले को 15.50 करोड़ रुपये की वित्तीय सीमा स्वीकृत की गई थी, जिसमें वेतन, एरियर्स और इंसेंटिव भुगतान का प्रावधान शामिल है। इसके बावजूद भुगतान नहीं हो पाया। छत्तीसगढ़ शासन के वित्त विभाग द्वारा दिवाली से पूर्व अग्रिम वेतन भुगतान के निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन रायगढ़ में इनका पालन नहीं किया गया। अन्य जिलों—कोरबा, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, कवर्धा, बलौदा बाजार और बालोद—में समय पर भुगतान हो चुका है, जबकि रायगढ़ में कर्मचारी अब भी इंतजार कर रहे हैं।

वेतन देरी की समस्या पहले भी सामने आ चुकी है, जिसके चलते कर्मचारियों को अगस्त से सितंबर 2025 तक अनिश्चितकालीन आंदोलन करना पड़ा था। इसके अलावा, जिले के दो बर्खास्त कर्मचारियों को उनके पूर्व कार्यकाल से संबंधित एरियर्स का भुगतान अब तक नहीं किया गया है।



कर्मचारी संगठनों का कहना है कि समय पर वेतन न मिलना संविधान और श्रम कानूनों का उल्लंघन है। इससे कर्मचारियों को मकान किराया, बच्चों की पढ़ाई, इलाज, बैंक किश्त और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई कर्मचारियों के मानसिक तनाव में होने की भी बात कही जा रही है।

संघ ने मांग की है कि 24 दिसंबर 2025 तक सभी लंबित वेतन, एरियर्स और इंसेंटिव का भुगतान सुनिश्चित किया जाए और भविष्य में ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए स्थायी वित्तीय व्यवस्था की जाए। मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है, जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।

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