राजधानी रायपुर में 1 नवंबर से लागू होगी पुलिस कमिश्नर प्रणाली, अपराध नियंत्रण में मिलेगी नई ताकत

रायपुर । राज्योत्सव के दिन यानी 1 नवंबर से राजधानी रायपुर में पुलिस व्यवस्था का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंचा दी हैं। देशभर की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर छत्तीसगढ़ के लिए एक सशक्त और प्रभावी मॉडल तैयार किया गया है। सूत्रों के अनुसार, रायपुर में यह सिस्टम ओडिशा की तर्ज पर लागू किया जाएगा, जिसे देशभर में सबसे सफल माना जाता है।
क्यों उठाया गया कदम?
पिछले कुछ वर्षों में रायपुर में लगातार बढ़ते अपराधों को देखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की कैबिनेट ने इस बड़े बदलाव को मंजूरी दी थी। सरकार चाहती है कि राज्योत्सव के अवसर पर अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायपुर आएं, तो उनके हाथों इस ऐतिहासिक सुधार का शुभारंभ कराया जाए।
अब 7 IPS अफसर संभालेंगे राजधानी की कमान
फिलहाल रायपुर में आईजी और एसएसपी लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी संभालते हैं। लेकिन कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद राजधानी में 7 IPS अफसरों को जिम्मेदारी मिलेगी। इसके साथ ही राज्य पुलिस सेवा के दर्जनभर अफसर भी अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में तैनात किए जाएंगे।
पद संरचना इस तरह होगी
पुलिस कमिश्नर (सीपी) – एडीजी रैंक
संयुक्त आयुक्त (ज्वाइंट सीपी) – आईजी रैंक
अपर आयुक्त (एडिशनल सीपी) – डीआईजी रैंक
डिप्टी कमिश्नर (डीसीपी) – एसपी/एसएसपी रैंक
सहायक आयुक्त (एसीपी) – एडिशनल एसपी/डीएसपी रैंक
क्या होगा बड़ा बदलाव?
पुलिस कमिश्नर को दंडाधिकारी अधिकार मिलेंगे।
धरना-प्रदर्शन की अनुमति, लाठीचार्ज या धारा 144 लगाने जैसे फैसले सीधे पुलिस कर सकेगी।
शस्त्र और बार लाइसेंस जारी करने का अधिकार भी अब पुलिस के पास होगा।
इस बदलाव से न केवल अपराध नियंत्रण की प्रक्रिया तेज होगी बल्कि आपातकालीन स्थिति में तत्काल फैसले लिए जा सकेंगे।
अंग्रेजी हुकूमत से मिली व्यवस्था
पुलिस कमिश्नर प्रणाली कोई नई अवधारणा नहीं है। ब्रिटिश शासन में पहली बार कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे महानगरों में इसे लागू किया गया था। आजादी के बाद धीरे-धीरे यह व्यवस्था भारत के अन्य बड़े शहरों तक फैली और अब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी इस सूची में शामिल होने जा रही है।